महासमुन्द

पहली से आठवीं तक के बच्चों की आंकलन परीक्षा
20-Sep-2021 6:43 PM
पहली से आठवीं तक के बच्चों की आंकलन परीक्षा

नंबर्स के आधार पर कमजोर बच्चों को विशेष फोकस कर पढऩा व लिखना सिखाया जाएगा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 20 सितंबर।
कोरोनाकाल में चौपट हुई शिक्षा के कारण बच्चों की पढ़ाई कितनी प्रभावित हुई है? बच्चे पिछली कक्षा में कितना सीख पाए हैं और कितना जान पाए हैं, इसका सर्वे किया जा रहा है और इसके लिए आंकनल परीक्षा पूरी हो गई है। इस परीक्षा में जिले के 16312 बच्चे शामिल नहीं पाए हैं। ऐसे में एक बार फिर से इन बच्चों का सर्वे किया जाएगा। 
 मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग कह रहा है कि ऐसे बच्चों को खोजकर उनकी परीक्षा ली जा रही है, लेकिन ऑनलाइन आकड़ों में बच्चे शेष दिख रहे हैं। जिन बच्चों ने आंकलन परीक्षा दी है, उसका परिणाम अभी तक नहीं आया है।

बताया जा रहा है कि मूल्यांकन का काम चल रहा है। अभी भी कई स्कूलों में बच्चों का मूल्यांकन कर नंबर पोर्टल में ऑनलाइन नहीं किया है। पूरी तरह से नंबर्स अपलोड होने के बाद ही ये जानकारी ऑनलाइन होगी। गौरतलब है कि आंकलन परीक्षा के नंबर्स के आधार पर कमजोर बच्चों को विशेष फोकस कर पढऩा व लिखना सिखाया जाएगा।

इस संबंध में बीआरसी प्रभारी जागेश्वर सिन्हा ने बताया कि ऑनलाइन के आधार पर अभी 16 हजार 312 बच्चों का आंकलन परीक्षा यानी सर्वे नहीं हो पाया है। शिक्षक इन बच्चों के परिजनों से मिलकर आंकलन परीक्षा ले रहे हैं। महीने के अंत तक इनका भी परीक्षा लेकर अंकों को ऑनलाइन पोर्टल में चढ़ा दिया जाएगा।

विभाग के अनुसार जिले के 1.20 लाख बच्चों की आंकलन परीक्षा लेनी है, जिसमें से एक लाख 3 हजार 717 बच्चे ही परीक्षा दे पाए हैं।जिले में 1769 सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूल है। इसमें करीब 5389 शिक्षक हैं।

बेस लाइन सर्वे के तहत वर्तमान में कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों की आंकलन परीक्षा ली गई है। इस परीक्षा का पहला चरण (बेस लाइन) 28 अगस्त से प्रारंभ किया गया है, जो 10 सितंबर तक चला। इस आंकलन परीक्षा में बच्चों के पिछली कक्षा की शिक्षा की स्थिति को जानने के लिए लिखित परीक्षा ली गई है।

इस परीक्षा के लिए प्रश्न-पत्र एससीआरटी से भेजा गया था। परीक्षा का मूल्यांकन वर्तमान में चल रहा है। कुछ ही स्कूलों का मूल्यांकन शेष रह गया है। पूरे स्कूल का मूल्यांकन होने के बाद पोर्टल में नंबर अपलोड होने के बाद ही बच्चों को कितने नंबर मिले हैं वो पता चलेगा। इसके बाद शिक्षक कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान देकर उसे पढऩा व लिखना सिखाएंगे।

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