कोरिया

डेढ़ साल से बंद स्कूल खुले, पर शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीनेशन में, पढ़ाई ठप
20-Sep-2021 9:14 PM
 डेढ़ साल से बंद स्कूल खुले, पर शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीनेशन में, पढ़ाई ठप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर (कोरिया), 20 सितम्बर। कोरोना संक्रमण के कारण बीते डेढ़ साल से बंद विद्यालय तो खुल गए, परन्तु विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई ठप है। स्कूल बंद रहने के लिए बच्चों की पढ़ाई से दूर हो गए, स्कूल खुलने पर उनकी पढ़ाई बेहद जरूरी थी, पर ऐसा नहीं हो रहा है, ज्यादातर स्कूलों के शिक्षक जाति निवास बनवाने में रात रात तक व्यस्त है तो बचे शिक्षक अब वैक्सीनेशन में जुट गए हंै। ऐसे बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे हो गई है।

जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण बीते डेढ़ वर्ष से स्कूल बंद रहे जिस कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई हालंाकि लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई तुंहर तुआर के तहत ऑन लाईन कक्षाएं संचालित होती रही और मोहल्ला क्लास भी चलता रहा। इसी बीच चालू सत्र से विद्यालय खुले और अब सभी कक्षाओं को खोलने की अनुमति देने के बाद सभी कक्षाएं खुल गयी है। ऐसे में विद्यार्थियों के पढ़ाई को पटरी पर लाने की जरूरत है लेकिन अधिकारियों के निर्देश पर शिक्षकों केा कई तरह के कार्यो में उलझा कर रखा दिया गया है जिस कारण शिक्षक पढ़ाई नही करा पा रहा है। शिक्षकों के पास इतना काम हो गया है कि वे सरकारी आदेश का पालन पहले कर रहे है जिसके कारण उनके पास समय नही बच पा रहा कि  वह कक्षा में बच्चों की पढ़ाई करायें। अधिकारियों द्वारा अपने द्वारा दिये गये आदेश का पालन कराने कार्यवाही की बात करते है। 

जानकारी के अनुसार स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों केा जाति निवास आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए महीने भर परेशान होना पड़ा, इसी बीच वैक्सीनेशन के लिए भी शिक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी वर्तमान में भी जिले के कुछ ब्लाकों में शिक्षकों केा कोरोना वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग केे साथ ड्यूटी लगा दी गयी है। वही हाल में संपन्न बेस लाईन आंकलन का मूल्यांकन कर ऑन लाईन एंट्री करने के कारण शिक्षकों के पास विद्यार्थियों के पढाई के लिए समय नही बच रहा हैं। वही सभी बच्चों को निर्धारित लर्निंग आउटकम भी एचीव कराना है ऐसे में यह सब कैसे होगा। इस तरह शिक्षक कई कामों के बोझ के तले दबे हुए है जिस कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई नहीं करा पा रहे।

एक माह से ज्यादा समय तक जाति निवास प्रमाण पत्र में उलझे

चालू सत्र में स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों द्वारा विभिन्न कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी और रिजल्ट वितरण के साथ नाम जोडऩे काटने का कार्य किया गया। इसके बाद शिक्षकों को बच्चों के जाति आय निवास प्रमाण पत्र बनाने के कार्य में लगा दिया गया और प्रत्येक विद्यालयों के संस्था प्रमुखों को लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गयी अन्यथा कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये थे। जिसके पालन में विद्यालयों में शिक्षक बच्चों के जाति आय निवास प्रमाण पत्र बनाने के कार्य में जुट गये।

पालकों सं संपर्क कर आवश्यक दस्तावेज जुटाने में जुट गये। घर घर बच्चों के पहुंच कर शिक्षक उनके जाति निवासी आय प्रमाण पत्र के लिए आवश्यक दस्तावेज लेने पहुंचते। कई बार तो उन्हे वापस लौटना पड़ता क्योकि परिवार के लोग खेत या जंगल चले गये होते थे। इस तरह एक बच्चे के घर कई बार चक्कर लगाने के बाद आवश्यक दस्तावेज मिल पाता जिसके बाद बच्चे का आवेदन तैयार कर जमा करना पड़ रहा था। शिक्षकों द्वारा घर घर पहुंच कर यह कार्य कराने को देखकर ग्रामीण भी यह समझते कि यह कार्य गुरूजी का है इसलिए वे निश्चिंत रहते।  इस तरह जाति निवास आय प्रमाण पत्र केा लेकर शिक्षकों को खास परेशान होना पड़ा। जबकि शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य नही कराने के निर्देश है बावजूद शिक्षकों से ही राजस्व विभाग के कार्य का दायित्व सौंप दिया गया जबकि ग्राम पंचायत के सचिव , रोजगार सहायक, आंबा कार्यकर्ता के माध्यम से भी यह कार्य कराया जा सकता था।

वैक्सीनेशन में भी लगी शिक्षकों की ड्यूटी

कोरिया जिले के कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों की भी ड्यूटी लगायी गयी। जबकि पर्याप्त संख्या में मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद है। बावजूद स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सिनेशन कार्य में लगाया गया तथा वर्तमान में भी कुछ जगहों पर शिक्षकों का सहयोग लिया जा रहा है ऐसे में शिक्षक विद्यार्थियों को कैसे पढाई करा सकेगा। उल्लेखनीय है स्कूल बंद रहने के दौरान शिक्षक विभिन्न नाकों में ड्यूटी किये तथा स्वास्थ्य विभाग का सहयोग किये लेकिन स्कूल खुलने के बाद भी शिक्षकों की सेवाएॅ ली जा रही है ऐसे में विद्यालयों में पढाई प्रभावित होना निश्चित है।

विभागीय काम में भी उलझे शिक्षक

जानकारी के अनुसार गैर शिक्षकीय कार्य के अलावा शिक्षकों केा विभागीय कई कार्य में उलझा दिया जाता है जिससे कि शिक्षकों के पास विद्यार्थियों को पढाई कराने के लिए समय कम बचता है। जानकारी के अनुसार जाति निवासी प्रमाण सपत्र बनाने के साथ ही शिक्षकों को डीबीटी फार्म फार्म भरकर ऑन लाईन करने के निर्देश है लेकिन इसके लिए प्रत्येक विद्यार्थियों के आधार कार्ड, मोबाईल नम्बर सहित खाता की जानकारी शिक्षकों केा प्राप्त करना है इसके बाद ही ऑन लाईन एंटी हो सकता है। इसी तरह हाल की में समाप्त हुए बेस लाईन आंकलन के बाद कापियों का मूल्यांकन करना फिर अंको ऑन लाईन एंटी करने के कार्य में लगे हुए है। इस कार्य में जहां नेट की कनेक्टिीविटी नहीं है वहां के शिक्षकों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।

शिक्षक वैक्सीनेशन में स्कूल शिक्षक विहीन

इन दिनों लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की मांग पर शिक्षकों केा वैक्सिनेशन के कार्य में लगा दिया गया है। जिसमें इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया कि जहां एकल शिक्षक है वहां के शिक्षकों को तो छोड़ दिया जाये। जिले के कई क्षेत्रों में इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है कि जिन विद्यालयों में मात्र एक शिक्षक है वहॉ के शिक्षक को भी वैक्सिनेशन में ड्यूटी लगा दी जा रही है जिससे कि विद्यालय शिक्षक विहीन हेा जा रहे है। यानी स्कूलों में पढ़ाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है सिवाय वक्सीनेशन के।

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