सरगुजा

बिना पूंजी लगाये दिन का एक-दो घंटे खर्च कर आमदनी प्राप्त करेंगी महिलाएं
20-Sep-2021 9:40 PM
 बिना पूंजी लगाये दिन का एक-दो घंटे खर्च कर आमदनी प्राप्त करेंगी महिलाएं

15 समूहों को रोजगार शुरू करने मासिक स्वच्छता प्रबंधन किट का प्रोजेक्ट ईज्जत के माध्यम से वितरण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 20 सितंबर। अम्बिकापुर, लुंड्रा, बतौली एवं सीतापुर ब्लॉक के स्व सहायता समूह की महिलाओं का माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर आज एक दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण का आयोजन सरगुजा साइंस ग्रुप एवं जन शिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें 15 समूहों की महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए मासिक स्वच्छता प्रबंधन के कार्य से जोड़ते हुए उन्हें बिना पूंजी लगाये 3000-3000 रुपये का सैनेटरी पैड एवं जागरूकता कार्यक्रम हेतु पैड का वितरण किया गया। गांवों में कैसे माहवारी स्वच्छता पर कार्य करना है, इस पर दो सत्रों में विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जन शिक्षण संस्थान के निदेशक एम.सिद्दीकी ने स्व सहायता समूह की जरूरत, निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्य करने के तरीके सहित विभिन्न विषयों पर जानकारी दी एवं समूह की महिलाओं के विभिन्न प्रश्नों का जवाब दिया। उन्होंने भारत सरकार के स्किल मंत्रालय द्वारा महिलाओं के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी एवं महिलाएं कैसे ट्रेनिंग ले सकती हैं, इस पर चर्चा की।

सीए निष्ठा पांडेय ने माहवारी पर परम्परागत चलने वाले रूढिग़त विषयों को सामने रखा तथा बताया कि आज हम सब 21वीं सदी में जी रहे हैं और हमें इन रूढिय़ों को बदलना है, मुझे खुशी हो रही है कि ग्रामीण महिलाएं ऐसे विषयों पर आगे आकर कार्य कर रहीं हैं।

घरों से निकल कर आपका कार्य करना यह बताता है कि आपने इस विषय को समझा है और माहवारी स्वच्छता क्यों जरूरी है, इस पर अब दूसरों को समझाने का बीड़ा उठाया है। हम सब के आपसी सहयोग से हम इस पर बेहतर कार्य करेंगे और रूढिग़त विचारों को माहवारी को लेकर समाज में फैले किवंदितियों को धीरे-धीरे निकाल फेकेंगे। सुखद मातृत्व के लिए माहवारी जरूरी है और यह घबराने, छुपाने या दूर भागने की चीज नहीं, बल्कि नवसृजन हेतु आवश्यक प्रकृति प्रदत्त एक सिस्टम है।

सीए तृषा समादर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक ऐसा विषय जो हम से जुड़ा है और हम ही इस पर बात करने से कतराते हैं, कैसे हम इन सब चीजों से बाहर आयेंगे, अपने आपको उस दौरान सवच्छ रखेंगे यह बेहद जरूरी और हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है, इस पर तो हमें तमाम बंदिशों से बाहर निकल कर बात करना होगा, अन्यथा यह हमारे मातृत्व एवं स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक होगा। आज जब हम यहां से जायें तो कम से कम यह प्रेरणा लेकर जायें की ज्यादा नहीं 10 बहनों को जागरूक करेंगे। सुखद स्वास्थ्य का मंत्र देंगे, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी देंगे।

माहवारी स्वच्छता प्रबन्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक डॉ प्रशांत शर्मा, प्रभारी बायोटेक सरगुजा ने कहा कि यह हर बेटी का सौभाग्य है कि वह किसी की पुत्री होगी, लेकिन यह हर पिता के भाग्य में नहीं है कि वह पुत्री का पिता बनेगा।

उन्होंने कहा कि मैं आध्यात्मिक बात कर रहा हूँ लेकिन यह माहवारी की जब बात की जा रही है तो जरूरी है, क्यों कि हम एक बेटी की प्राकृतिक देन पर बात कर रहे हैं, यह कोई समस्या नहीं है, बल्कि प्रकृति की देन है और हमें प्रकृति की इस देन पर खुल कर चर्चा करनी है, स्वच्छता पर बात करनी है, घर, परिवार, गांव, ब्लॉक, जिला से पहले स्व स्वच्छता बेहद जरूरी है और माहवारी के दौरान आप जितना स्वच्छ एवं पोषण युक्त भोजन करेंगे, भविष्य के सुखद मातृत्व के लिए आप उतना ज्यादा तैयार हो रहे हैं। माहवारी में स्वच्छता पर ध्यान नहीं देने से कई तरह की बीमारी शुरू हो जाती है जो आगे मातृत्व को भी प्रभावित करती है। इसलिए माहवारी जैसे विषय पर बात करने से झिझकना नहीं है, डरना नहीं है, भागना नहीं है, बल्कि खुल कर अपनी बात रखें, कोई समस्या है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में परामर्श लें, स्वयं हर परेशानी का ईलाज न करें यह गंभीर हो सकता है।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के परियोजना अधिकारी रौशन गुप्ता ने महिला समूहों के आपसी समन्वय से कार्य करने के तरीके पर चर्चा करते हुए कहा कि एक ही समूह सम्पूर्ण जिले या ब्लॉक में कार्य नहीं कर सकती, इसलिए चैन सिस्टम बनाइये ताकि सबको सहूलियत हो और कारगर तरीके से कार्य हो सके, जिसका परिणाम सुखद हो। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि हमारे जिले में 2014 से ही माहवारी स्वच्छता प्रबन्धन पर कार्य हो रहा है और लगभग 100 प्रतिशत गांवों में इस पर चर्चा के साथ-साथ कुछ न कुछ काम एक सामाजिक संस्था के द्वारा किया जा रहा है। पॉलीथिन मुक्त ग्राम, ईको-फ्रैंडली के साथ-साथ गुणवत्ता एवं उचित दर का सैनेटरी पैड महिलाओं तक पहुंचे यह बेहद जरूरी है। सरगुजा साइंस ग्रुप के संस्थापक अंचल ओझा ने 2014 से लेकर अब तक किये जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से आंकड़ेबद्ध जानकारी प्रजेंटेशन एवं वीडियो के माध्यम से दी तथा ऐसे सक्रिय ग्राम पंचायत और समूह जहां माहवारी स्वच्छता पर बेहतर कार्य हो रहे हैं उसकी जानकारी दी। महिला समूहों ने अपने अनुभव सांझा किये, कैसे इस कार्य को करने में समस्या होती है, कैसे महिलाओं और लड़कियों को जोड़ कर कार्य कर रही हैं, इस विषय पर लुंड्रा के दोरना, बरगीडीह, बतौली के मंगारी , अम्बिकापुर के गंगापुर, केशपुर के समूहों ने जानकारी दी।

इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने के लिए, समूहों को एकजुट करने के लिए जन शिक्षण संस्थान के निदेशक एम.सिद्दीकी, पवित्रा प्रधान, अमित दुबे, दीपा यादव, प्रिया यादव, प्रियंका सिंह, कमला प्रधान, सुशीला प्रधान, सदीकुन निशा, राशि सिंह, चंपा, दीपांजलि, सावंत, मुनिता, श्रीमती, सरिता, शकुंतला, मोहरमनी, भुनेश्वरी, गुलाबी, दीप्ति, गुलाब केशरी, अणिमा, अंजली का प्रशस्ती पत्र द्वारा सम्मान किया गया एवं अम्बिकापुर, लुंड्रा, बतौली, सीतापुर के 15 समूहों को मासिक स्वच्छता प्रबन्धन किट प्रोजेक्ट ईज्जत के माध्यम से वितरित किया गया, जिसके माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की राह आसान होगी।कार्यक्रम का संचालन सुनीता दास ने किया, इस अवसर पर रमेश कुमार, विवेक सिंह, आकाश, स्नेहलता, वंदना, अंजुलता सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।

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