राजनांदगांव

चलने लायक नहीं रही सडक़ें
21-Sep-2021 2:10 PM
चलने लायक नहीं रही सडक़ें

   बारिश से दो साल पहले बनी सडक़ें उखड़ी, चौतरफा शहर के रास्ते गड्ढों से भरे    

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 सितंबर।
राजनांदगांव शहर के ऊपरी तौर पर चमचमाती डामरीकृत सडक़ें अब गड्ढों में तब्दील नजर आ रही है। ज्यादातर खराब सडक़ें दो साल पहले ही तैयार की गई थी। डामर उखडऩे से सडक़ की पुरानी परतें बाहर दिख रही हैं। ऐसे में शहर में आवाजाही परेशानी खड़ी कर रही है। बरसाती पानी से डामरयुक्त सडक़ें टिक नहीं पाई।

बताया जा रहा है कि राजनांदगांव शहर के वीआईपी मार्ग से लेकर अंदरूनी व्यापारिक मार्गों में गड्ढे निकल आए हैं। शहर के गौरवपथ की भी हालत बेहद खस्ता हाल है। गौरवपथ को शहर के सबसे बेहतर सडक़ों में गिना जाता है। गौरवपथ निर्माण के बाद से आज पर्यन्त कई बार मरम्मत भी कराना पड़ा। ऐसे में गौरवपथ निर्माण में जिस तरह से गुणवत्ता की अनदेखी हुई है, उस पर कई बार स्थानीय लोगों ने आवाज भी उठाए हैं। हर बार प्रशासनिक स्तर पर गौरवपथ निर्माण पर जांच के बाद कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया जाता रहा है। इस बीच भदौरिया चौक से लेकर बसंतपुर-नंदई के रास्ते अग्रवाल ट्रांसपोर्ट तक बने करीब 7 किमी की लंबी दूरी वाले मार्ग भी अपनी चमक खोने लगा है। पूरे रास्ते में जगह-जगह गड्ढे बन आए हैं।

बताया जा रहा है कि वीआईपी मार्ग को शहर की चमचमाती सडक़ों में सबसे अव्वल रखा गया था। खराब रास्ते के रूप में बदलने से वीआईपी मार्ग की साख भी प्रभावित हुई है। उधर नवीन गुरूद्वारा चौक, दिग्विजय कॉलेज से जिला अस्पताल मार्ग, नंदई-मोहारा मार्ग समेत अन्य मुख्य रास्ते गड्ढे में बदल गए हैं। बरसात के मौसम में डामरीयुक्त सडक़ों के खराब होने से प्रशासन की कार्यशैली पर भी ऊंगली उठ रही है।

इस संबंध में नगर निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि सडक़ों को बनाने का प्रयास किया जा रहा है। नगर निगम अपने अधिकृत रास्तों को दुरूस्त करेगा। कुछ रास्ते लोक निर्माण विभाग के अधीन है। इस बीच शहर के भीतरी रास्ते भी पूरी तरह से गड्ढे से भरे पड़े हैं। व्यापारिक मार्गों में भी स्थिति बेहद खराब है। सडक़ों में आवाजाही एक तरह से करना मुसीबत के जैसा साबित हो रहा है। बताया जा रहा है कि डामरीकरण के दौरान गुणवत्ता की अनदेखी किए जाने की वजह से सडक़ें बारिश में टिक नहीं पा रही है। डामरीकरण के लिए नगर निगम ने करोड़ों रुपए फूंके हैं। सडक़ों की हालत देखकर यह समझा जा सकता है कि निगम प्रशासन ने सिर्फ पानी की तरह पैसे बहाए हैं, पर सडक़ों की गुणवत्ता को नजर अंदाज किया गया है। बहरहाल राजनांदगांव शहर के बाहर और अंदरूनी मार्गों की खस्ता हालत देखकर यह साफ है कि डामरीकरण की आड़ में निजी हितों को साधा गया है।

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