सरगुजा

न्याय के द्वार सबके लिए खुले हुए हैं-रेशमा बैरागी
22-Sep-2021 4:59 PM
न्याय के द्वार सबके लिए खुले  हुए हैं-रेशमा बैरागी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
राजपुर, 21 सितंबर।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रेशमा बैरागी ने कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजपुर के छात्राओं को विधिक जानकारी देते हुए कहा कि न्याय के द्वार सबके लिए खुले हुए हैं, कोई भी व्यक्ति न्याय पाने के लिए अगर न्यायालय तक आता है तो उसे निराश नहीं होना पड़ेगा। किसी भी तरह के मामले को लेकर के अगर कोई व्यक्ति वकील रखने में अधिवक्ता नियुक्त करने में सक्षम नहीं है तो देशभर में विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अच्छे वकीलों की सेवाएं ऐसे लोगों को जो कि गरीब महिला बालक किसी प्रकार के हिंसा से पीडि़त हैं या जिनकी आय एक लाख रुपये वार्षिक से कम है उन्हें अधिवक्ता मुहैया कराया जाता है।

राष्ट्रीय स्तर पर नालसा राज्य स्तर पर सालसा जिला स्तर पर डालसा और तहसील स्तर पर तालुका विधिक सेवा समिति गठित की गई हैं, जिनके माध्यम से विधिक सेवाएं आम लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। तालुका विधिक सेवा समिति व्यवहार न्यायालय तहसील स्तर पर स्थापित की गई है जहां विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से नियुक्त प्रति धारक अधिवक्ता उपस्थित रहते हैं जो ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन अपनी सेवाएं देते हैं। इसके अलावा चलानी मामलों में जिनमें पुलिस किसी भी आरोपी के विरुद्ध रिमांड प्रस्तुत करती है उन मामलों में रिमांड अधिवक्ता भी नियुक्त होते हैं जो ऐसे लोगों के लिए न्यायालय में आरोपीगण की ओर से निशुल्क सेवा देने हेतु नियुक्त किए जाते हैं।
आगे कानूनी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बालक बालिकाओं को वाहन चलाने की मनाही है 18 वर्ष के पश्चात ही मोटर ड्राइविंग लाइसेंस कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है और उसके बाद ही उसे वाहन चलाने की अनुमति होती है बगैर लाइसेंस के या वाहन चालन अनुज्ञप्ति के अगर कोई मोटरसाइकिल चलाता है तो उसके विरुद्ध मोटर यान अधिनियम के तहत कार्यवाही होती है।

शिविर में अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता ने मौलिक अधिकार व कर्तव्य के बारे में बताया और कहा कि किसी दूसरे के अधिकारों में अतिक्रमण ही सामान्य ढंग से कहा जाए तो अपराध है इसलिए हमें दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन करना चाहिए।

अधिवक्ता राम नारायण जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताडऩा अधिनियम लागू है किसी भी व्यक्ति को तो उन्हीं के रूप में चिन्ह अंकित करना अपराध है या फिर अगर कोई व्यक्ति स्वयं को झाड़-फूंक करने वाला ओझा बैगा बताता है वह भी अपराध है ।

ऐसे मामले में अगर कोई इस तरह का अपराध करता है तो वह दंड का भागीदार होगा छत्तीसगढ़ में अधिनियम वर्ष 2005 से समूचे छत्तीसगढ़ पर प्रभाव शील है।  इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य स्नेह लता एक्का व शिक्षक उमेश वर्मा सहित अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं एवं विद्यालय के स्टाफ तथा छात्रायें उपस्थित थे।

 

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