राजनांदगांव

दो दर्जन हाथियों की चहल-कदमी से मोहला-डौंडीलोहारा सीमा पर वन अमले ने बढ़ाई चौकसी
23-Sep-2021 12:27 PM
दो दर्जन हाथियों की चहल-कदमी से मोहला-डौंडीलोहारा सीमा पर वन अमले ने बढ़ाई चौकसी

 

दल्लीराजहरा से सटे जंगल में महीनों से था डेरा, दल में छोटे बच्चे भी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 23 सितंबर।
मोहला के पानाबरस वन परिक्षेत्र के आखिरी छोर में बालोद के डौंडीलोहारा सीमा पर हाथियों के एक बड़े दल के दाखिल होने के बाद वन महकमे ने चौकसी बढ़ा दी है। वन अमला लगातार हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि दो दर्जन हाथियों का दल राजनांदगांव-बालोद जिले की सरहद पर स्थित पद्दाटोला में डेरा जमाया हुआ है। हाथियों की आवाजाही से ग्रामीण इलाकों में दहशत की भी स्थिति है। बताया जा रहा है कि पद्दाटोला और गोटाटोला इलाके के जंगल में 24 हाथियों का एक दल भ्रमण कर रहा है। हाथियों का यह दल दल्लीराजहरा से सटे जंगल में काफी समय से अस्थाई रूप से ठिकाना बनाए हुए हैं।  बताया जा रहा है कि दल में दंतैल हाथी भी है। ऐसे में  ग्रामीणों को अपनी जान-माल की सुरक्षा की चिंता भी सता रही है। हालांकि अब तक किसी भी तरह की जन और धन हानि की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए वन अफसर गांवों में बकायदा बैठक लेकर समझाईश दे रहे हैं। कच्चे मकान के बाशिंदों को ज्यादा सावधानी बरतने को कहा जा रहा है। हाथियों का स्वभाव कच्चे मकानों में ही तोडफ़ोड़ करने का रहा है। बताया जा रहा है कि धान और चावल की खुशबू से भी हाथी कच्चे मकानों में उत्पात मचाते हैं। चूंकि महुआ का सीजन नहीं होने के कारण हाथियों की ओर से ज्यादा उपद्रव होने की संभावना नहीं है। फिर भी अफसर हाथियों की सुरक्षा के साथ-साथ ग्रामीणों की ओर भी नजर बनाए हुए हैं।

इस संबंध में राजनांदगांव डीएफओ गुरूनाथन एन. ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि हाथियों की चहल-कदमी पर पूरा ध्यान लगाया गया है। ग्रामीणों को भी सतर्क रहने मैदानी अमले की ओर से समझाईश दी जा रही है। बताया जा रहा है कि पानाबरस वन क्षेत्र और डौंडीलोहारा के जंगली क्षेत्र में हाथियों का दल आसपास के गांवों में लगातार दाखिल हो रहा है। दाखिले को देखते हुए ग्रामीण भी सावधानी बरत रहे हैं।


 

केले के बाड़ी वाले घरों पर धावा
हाथियों ने पिछले दो दिनों से ऐसे घरों को निशाना बनाया है, जहां केले के पेड़ मौजूद हैं। वहीं कच्चे मकानों को भी आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाया है। बताया जा रहा है कि खानपान में केले के पत्ते खाने के हाथी शौकीन होते हैं। वहीं कच्चे मकानों में घुसने के पीछे चावलों की महक एक प्रमुख वजह होती है। बताया जा रहा है कि केले के बाड़ी वाले घरों में हाथियों का दल लगातार धावा बोल रहा है। वहीं खेतों में भी धान की फसल को रौंदने के मामले भी अब सामने आ रहे हैं।

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