सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 24 सितंबर। राज्य में नक्सल मोर्च पर तैनात रहे सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट विनोद कुमार टंडन को राजनीति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि मिली है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन पर पुलिस प्रशासन की भूमिका का विषलेषण करते (सुकमा जिले के विशेष संदर्भ में) शोध पूरा किया है।
डॉ. अलका मेश्राम प्राचार्य शासकीय कला और वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशाली नगर भिलाई के निर्देशन तथा डॉ. डीएन सूर्यवंशी, सेवानिवृत्त प्राचार्य एसआरसीएस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग के सह पर्यवेक्षण में उन्होंने अपना शोध पूरा किया।
गौरतलब है कि श्री टंडन दंतेवाड़ा में भी लंबे समय तक पदस्थ रहे। 2004 बैच के प्रथम श्रेणी के सहायक कमांडेंट के रूप में सीधे नियुक्त अधिकारी है। वर्तमान में सीपीआरपीएफ डिप्टी कमांडेंट के रूप में ओडिशा में सेवारत् हंै।
12 जुलाई 1981 को बलौदाबाजार जिले के जैतपुर सरसींवा जन्मे विनोद ग्रामीण परिवेश में पल-बढऩे के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की। वे रामेश्वरी देवी एवं सेवानिवृत्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भागवत टंडन के बेटे हंै।
प्राइमरी शिक्षा गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर में, माध्यमिक शिक्षा पटेवा महासमुंद में, स्नातक छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर और लोक प्रशासन विषय पर पंडित रविशंकर शुक्ल विवि से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की, इसके अलावा यूजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा भी उन्होंने उत्तीर्ण की।
श्री टंडन ने शोध केंद्र एसआरसीएस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग से अपना शोध पूरा किया। 30 जुलाई को मौखिक परीक्षा में भाग लेने के बाद उन्हें पीएचडी की डिग्री से नवाजा गया।
उन्होंने अपने शोध के लिए चुनौतीपूर्ण विषय का चयन किया, जो न केवल वास्तविक समय की जानकारी के साथ तथ्यात्मक डेटा एकत्रित करने में जोखिम भरा है बल्कि सैन्य बलों में सेवारत् अधिकारियों की पेशेवर क्षमता के लिए एक उपकरण भी है।
वर्ष 2005 में बेसिक प्रशिक्षण उपरांत देश के उग्रवाद ग्रस्त राज्यों मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा, जम्मू एवं कश्मीर में उन्होंने अपनी सेवाएं दी। सोलह साल की सेवा अवधि में 9 साल देश के सर्वोत्तम माओवाद ग्रस्त इलाके में भी अपनी सेवाएं दीं। जिसके चलते उन्होंने अपने शोध विषय के रूप में वर्तमान में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बने नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दे को चुना। जिसमें इस गंभीर समस्या के निवारण को लेकर उपयोगी विचार, सुझाव भी शोध में सामने आए हैं।