जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव , 24 सितंबर। जहां राज्य शासन शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत होकर कार्य करता रहा है। इसके लिए स्कूलों के रखरखाव से लेकर मरम्मत के नाम पे सभी स्कूलों को राज्य शासन हर वर्ष राशि स्वीकृत कर स्कूल के खाते में रकम भेजती है। उन्हीं ंशासकीय रुपयों को स्कूल के प्रधान पाठक और प्राचार्य स्कूलों में किये जाने वाले जरूरत के मुताबिक रकम आहरण करते है और उन्हें स्कूल के जरूरत के मुताबिक खर्च करते है। अब उन रकम को जब स्कूल विभाग निकालने बैंक जाते है, तो उन्हें उन रुपयों को निकालने के लिए अनुमति लाने कहा जाता है और यही पर शुरू हो जाता है कमीशन का खेल।
अपना नाम न छापने की शर्त पर कई स्कूलों प्राचार्यों व प्रधान पाठकों ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि जब हम स्कूलों के लिए किए जाने वाले खर्च के लिए शासकीय रुपयों को निकालने बैंक जाते है तो बैंक अधिकारी के द्वारा रकम निकालने के लिए अनुमति मांगी जाती है। जब अनुमति लेने के लिए बीआरसी कार्यालय जाते हहैं तो निकाले जाने वाले रकम के एवज में 10 से 20 पर्सेंट रकम देने को कहा जाता है और अगर हम कमीशन नहीं देते हंै तो फिर रकम निकालने की अनुमति नही दी जाती है।
प्राप्त सूचनाओं को लेकर जशपुर डीएमसी से जानकारी लेने जब फोन किया गया तो फोन की घण्टी बजती रही पर संपर्क नहीं हो पाया।
‘छत्तीसगढ़’ द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी एसएन पंडा को फोन कर पत्थलगांव स्कूल विभाग को शासन से मिलने वाले शासकीय रुपयों में चल रहे कमीशन के खेल की जानकारी दी गई जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि अगर इस तरह स्कूल विभाग के शासकीय रुपयों में बीआरसी कार्यालय के द्वारा अगर कमीशन लिया जा रहा है, तो बिल्कुल गलत है। इन बातों को कभी भी स्वीकारा नही जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं इस सम्बंध में पत्थलगांव शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात करता हूँ। वहीं उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की बात मेरे समक्ष लिखित रूप से आती है तो जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।