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भारत पर्यटन मुंबई ने बस्तर में मनाया विश्व पर्यटन दिवस
27-Sep-2021 8:46 PM
 भारत पर्यटन मुंबई ने बस्तर में मनाया विश्व पर्यटन दिवस

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 27 सितम्बर। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र में कार्यरत क्षेत्रीय कार्यालय इंडिया टूरिज्म मुंबई द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में 27 सितंबर को दो दिवसीय समारोह आयोजित किया गया।

विश्व पर्यटन दिवस-2021 के विषय ‘समावेशी विकास के लिए पर्यटन’ को ध्यान में रखते हुए निर्धनता हटाने एवं निरंतर व सतत विकास के लिए पर्यटन की दक्षता तथा क्षमता पर प्रकाश डाला गया। इंडिया टूरिज्म मुंबई ने जिला प्रशासन के सहयोग से बस्तर में दो कार्यशालाओं का भी आयोजन किया। इनमें से एक बस्तर के होम स्टे मालिकों के लिए तथा दूसरी कार्यशाला जगदलपुर के युवाओं के लिए थी, जो अतुल्य भारत पर्यटक सुविधाकर्ता प्रमाणन कार्यक्रम का ही हिस्सा थी।

कार्यशाला का उद्घाटन बस्तर के कलेक्टर रजत बंसल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संदेश में कहा कि बस्तर में सामुदायिक सहभागिता के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है क्योंकि सामुदायिक सहभागिता के बिना पर्यटन का विकास अधूरा है। कलेक्टर श्री बंसल ने कहा कि बस्तर की संस्कृति के संरक्षण के साथ यहां का पर्यटन विकास होता रहे।

इस दिशा में निरंतर कार्य किया  जा रहा है। बस्तर पर्यटन में सामुदायिक सहभागिता की शुरुआत पर्यटन समितियों के गठन के साथ हुई है, जिसमें स्थानीय युवाओं को  पर्यटकों और पर्यटन स्थल की सुरक्षा के साथ ही देखरेख की जिम्मेदारी मिली है।

स्थानीय ग्राम सभाओं से अनुमोदन प्राप्त करके ही पर्यटन समितियों का गठित की जा रही है, जिससे इसकी निरन्तरता बनी रहे। वहीं सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्राप्त भूमि का उपयोग भी वनों की रक्षा के लिए किया जा रहा है। सामुदायिक अधिकार के तहत प्राप्त इस वन भूमि में वृक्षों की रक्षा के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि धन उपार्जन के लिए वनों को काटने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि लोग इन्हीं वनों को देखने दूर दूर से आएंगे, जिसके माध्यम से लोगों की समृद्धि आसानी से हो जाएगी।

 कलेक्टर ने कहा कि यहां की संस्कृति को समझने के लिए आने वाले पर्यटकों को होमस्टे की सुविधा प्रदान की जा रही है अतिथि पर्यटकों को इनके माध्यम से यहां की संस्कृति से अवगत कराया जाएगा। बंसल ने कहा कि समावेशी मॉडल के साथ बस्तर के पर्यटन का विकास किया जाएगा। जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत के साथ मिलकर बस्तर में 26 होम स्टे स्थापित किए हैं। उन्होंने हिंसा को हराने लोगों को शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ाने और लोगों को समृद्ध करने की इस मुहिम में सभी लोगों को आगे बढक़र साथ देने की अपील की।

पर्यटन मंत्रालय के पश्चिमी व मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक,  वेंकटेशन दत्तारेयन ने कहा कि विश्व पर्यटन दिवस पर बस्तर में कार्यक्रम आयोजित करने का उद्देश्य लोगों को पर्यटन के माध्यम से निर्धनता हटाने एवं समाज के लोगों का निरंतर व सतत विकास करने में पर्यटन की उपयोग से अवगत करना है। विश्व पर्यटन दिवस-2021 के विषय ‘समावेशी विकास के लिए पर्यटन’ ही है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि होम स्टे पर्यटन को बढ़ावा देने के आकर्षक विकल्प हैं।

इनके माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के दर्शन होते हैं।

कार्यशाला में होम स्टे के मालिकों को हाउसकीपिंग, साफ-सफाई एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने का प्रशिक्षण दिया गया। इन विभिन्न सत्रों का संचालन हैदराबाद स्थित होटल प्रबंधन संस्थान द्वारा किया गया था। बस्तर के विभिन्न गांवों में स्थित होम स्टे के प्रचार-प्रसार तथा उनकी उपस्थिति से संबंधित सत्रों का भी संचालन किया गया। कार्यशाला के दूसरे सत्र का मकसद पर्यटन मंत्रालय के अतुल्य भारत पर्यटक सुविधाकर्ता प्रमाणन कार्यक्रम (आईआईटीएफसी) से जिले के युवाओं को अवगत कराना था। आईआईटीएफसी का उद्देश्य प्रशिक्षित व्यवसायियों को तैयार करना है, जो यहां आने वाले सैलानियों की मदद कर सकें. उन्हें विभिन्न गंतव्य दिखा सके और अपने अनुभव तथा पर्याप्त जानकारी की मदद से एक दक्ष एवं प्रशिक्षित गाइड की भूमिका निभा सके। इस कार्यक्रम से देश के सुदूर क्षेत्रों में रोजग़ार के सुअवसर प्रदान करने में मदद मिलेगी।

‘आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 28 सितंबर को हेरिटेज वॉक का आयोजन किया जाएगा। इसका विषय आजादी ट्रेल्स होगा। इस सैर का मकसद भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्थानों को दिखाना तथा उन गुमनाम नायकों व आदिवासी नेताओं के बारे में बताना है, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। इस हेरिटेज वॉक में जगदलपुर के 50 स्कूली छात्रों को सम्मिलित किया जाएगा। उन्हें छत्तीसगढ़ के जगदलपुर बस्तर के नेतानार गांव ले जाया जाएगा।

यह गाँव बस्तर विद्रोह से संबंधित है, जो भूमकाल (भूकंप) के नाम से भी लोकप्रिय है। यहां पर आदिवासियों ने 1910 में ब्रिटिश राज के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूका था। इसका नेतृत्व स्थानीय आदिवासी नेता गुंडाधुरा ने किया था। आदिवासियों से प्रेरणा पाकर पूरे प्रदेश ने ब्रिटिश उपनिवेशवादी सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। 250 पुलिसकर्मियों के बावजूद क्षेत्र में देगा, लूटपाट एवं उपद्रव हुआ। यह घटना एक गुमनाम नायक की वीरता की गाथा बयां करती है। यह उन आदिवासी नेताओं का भी उल्लेख करती है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना योगदान दिया।

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