बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलरामपुर, 30 सितंबर। कोटरी का शिकार करने वाले 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
जिले के सेमरसोत अभ्यारण्य अंतर्गत 26 सितंबर को खटवाबरदर के करीब 8-10 लोगों के द्वारा मिलकर जंगली जानवर कोटरी का शिकार कर शव को जंगल में ही छिपा दिया गया था। जैसी इसकी जानकारी वन अमला को लगी, वन अमला ने तत्काल इसकी सूचना उप निदेशक एलिफेंट रिज़र्व सरगुजा प्रभाकर खलखो को दी। श्री खलखो के निर्देश पर अधीक्षक सेमरसोत श्री केरकेट्टा के मार्गदर्शन में रेंजर बलरामपुर डी पी सोनवानी के द्वारा वन अमला के साथ 3 दिनों तक खटवाबरदर के जंगल में गस्त करते रहे एवं ग्रामीणों से पूछताछ करते रहे।
पूछताछ करने में पता चला कि आरोपी शंकर उर्फ मुन्ना अपने अन्य सहयोगी आरोपियों के साथ मिलकर कोटरी का शिकार तालाब के पास खेत में किया है। जिसके बाद खाने की तैयारी को लेकर उसे घर में रखा था। लेकिन जैसे शिकारियों को इसकी जानकारी लगी कि वन अमला गांव में शिकारियों की तलाश में जुटी है। जिसके बाद आरोपियों के द्वारा तत्काल मृत कोटरी को 1 बोरे में भरकर गाँव से लगे जंगल में दूर ले जाकर छिपा दिया गया।
वन विभाग के द्वारा आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ करने से उन्होंने जंगल में छुपाना स्वीकार किया। आरोपियों के साथ वन अमला मौके पर पहुंची, जहाँ मृत को शव जब्त कर लिया। वन अधिकारियों द्वारा आरोपी शंकर उर्फ मुन्ना, रासपति एवं तेजकुमार के विरुद्ध वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन अपराध दर्ज करते हुए न्यायालय बलरामपुर में प्रस्तुत किया गया, जहाँ से सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
नहीं बख्से जाएंगे कोई आरोपी-केरकेट्टा
इस पूरे मामले में अधीक्षक सेमरसोत केरकेट्टा ने कहा है कि वन्य प्राणी की निर्ममतापूर्वक जान लेने वाले किसी भी आरोपी को नहीं बख्सा जाएगा। उन्होंने कहा कि जंगली जानवर का शिकार करना दंडनीय अपराध है, ऐसा करते हुए पाए जाने पर उनके खिलाफ वन प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कठोर से कठोर कार्रवाई के प्रावधान हैं।