कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 3 अक्टूबर। कलेक्टर श्याम धावड़े ने मनेन्द्रगढ़ और सोनहत एसडीएम का एकीकृत बाल विकास परियोजना का प्रभार छिनकर उन्हें वित्तीय प्रभार से हटा लिया, दोनों को हटाकर उनके स्थान पर जनपद पंचायत के सीईओ को प्रभार सौंपा गया। इसी तरह खडग़वां में भी सीईओ तो बैकुंठपुर में महिलाा बाल विकास विभाग के डीपीओ को एकीकृत बाल विकास परियोजना का अतिरिक्त प्रभार दिया है।
पदस्थापना के बाद कलेक्टर श्याम धावड़े कुपोषित बच्चों की जानकारी जुटा रहे है, कुछ बैठकों में वजन त्यौहार के बाद आए नतीजों ने उन्हें हैरान कर दिया, बीते एक वर्ष में कुपोषण कम होने के बजाय बढ़ता दिखा, वहीं भरतपुर तहसील में इसकी रफ्तार काफी देखी गई। जिसके बाद उन्होंने महिला बाल विकास विभाग की जमकर क्लास ली।
दरअसल, तत्कालीन कलेक्टर सत्यनारायण राठौर ने जिले की परियोजनाओं में से 5 का प्रभार एसडीएम को सौप दिया था, जिसके बाद एसडीएम सिर्फ रेडी टू ईट की ही जांच किया करते, आंगनबाड़ी और पूर्व में दर्ज कुपोषित बच्चों की सुध लेने की किसी भी प्रकार की कोशिश नहीं की गई। वहीं जिला महिला बाल विकास की तमाम योजनाओं की बैठक में भी इनकी उपस्थिति नहीं रह पाती थी, यही कारण था कि विभाग का पूरा काम ठप सा हो गया था। जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम को परियोजना के काम से हटाने का निर्णय लिया।
किसको हटाया कौन आया
वर्तमान में खडग़वां परियोजना का प्रभार परियोजना अधिकारी के पास है, कलेक्टर ने चिरमिरी परियोजना का अतिरिक्त प्रभार भी खुशबू तिवारी के पास था, उन्हें यहां से हटा कर जनपद पंचायत सीईओ मूलचंद चोपड़ा को, बैकुंठपुर परियोजना का प्रभार एसडीएम बैकुंठपुर एसएस दुबे के पास था, उन्हें हटाकर महिला बाल विकास अधिकारी मनोज खलखो को, सोनहत परियोजना का प्रभार एसडीएम प्रशांत कुशवाहा के पास था, अब उन्हें हटाकर जनपद पंचायत के सीईओ आरबी तिवारी को, मनेन्द्रगढ परियोजना का प्रभार एसडीएम नयनतारा तोमर के पास था उन्हें हटाकर जनपद पंचायत के सीईओ बीएल देहारी को और भरतपुर परियोजना का प्रभार एसडीएम भरतपुर आरपी चौहान के पास था उन्हें भी वहां से हटाकर जनपद पंचायत सीईओ अनिल अग्निहोत्री को सौप दिया है।
कुपोषण पर होगा ध्यान केन्द्रीत
कलेक्टर श्री धावड़े ने जिला महिला बाल विकास की बैठक में स्पष्ट कहा है कि कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने राज्य सरकार की योजनाओं को सफल क्रियांन्वयन हो, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, उन्होनें एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लाने के लिए अधिकारियों को जमकर फटकारा, जिसका नतीजा यह रहा कि अब एनआरसी मेें कुपोषित बच्चों आ रहे है और कुछ सुपोषित हो कर अपने घर जा चुके है। कलेेक्टर जब भी जिला अस्पताल पहुंचतें है, वे एनआरसी सेंटर जाकर जरूर बच्चों से मिलते है, उनका हाल के साथ बच्चों की सतत देखभाल की पूरी जानकारी भी लेते है।