राजनांदगांव
राजाडेरा जंगल बना स्थाई ठिकाना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 अक्टूबर। मोहला के अंदरूनी जंगल राजाडेरा में हाथियों का झुंड स्थाई ठिकाना बना सकता है। पखवाड़ेभर से इसी जंगल में हाथियों का दल जमा हुआ है। महाराष्ट्र के सीमावर्ती जंगलों में दाखिल होने के बाद फिर से हाथियों का झुंड राजाडेरा में लौट आया है। वहीं मोहला ब्लॉक के ही दूसरे इलाके मिस्प्री, हिडक़ोटोला और रानकट्टा से भी विचरण कर हाथी राजाडेरा में ही लौट गए हैं।
वन महकमे के लिए हाथियों की मौजूदगी परेशानी का कारण बनी हुई है। हाथियों के जंगल में डेरा जमाने से मैदानी अमले को सुरक्षा के लिहाज से हाथियों पर निगरानी रखने के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है। इस इलाके के ग्रामीण हाथियों के चहल-कदमी से डरे-सहमे हुए हैं।
वन महकमे के शीर्ष अफसरों का कहना है कि राजाडेरा की प्राकृतिक स्थिति हाथियों को भा रही है। इस जंगल में बांस, केला और मक्के की फसल होने से हाथियों को पर्याप्त खानपान मिल रहा है। राजाडेरा का घना जंगल भी हाथियों के रहवास के लिए अनुकूल माना जा रहा है। हाथियों के दल ने अब तक मामूली ही नुकसान पहुंचाया है। कहीं-कहीं फसलों को हाथियों ने रौंद दिया। वहीं कच्चे मकानों को भी हाथियों ने धराशाही किया है। राजाडेरा के आसपास घने जंगलों में मिस्प्री और हिडक़ोटोला भी शामिल है, लेकिन हाथियों को वहां की परिस्थितियां अनुकूल नहीं लग रही है।
इस संबंध में मानपुर वन डिवीजन के एसडीओ आरके गजभिये ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि हाथियों को संभवत: राजाडेरा की प्राकृतिक वादियां अनुकूल लग रही है। जिसके चलते दल घूम-फिरकर सी जंगल में लौट रहा है। यह संभावना है कि स्थाई रूप से हाथी अगले कुछ दिनों तक इसी जंगल में जमे रह सकते हैं। उधर मैदानी अमले को सतर्कतता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जंगल के बाशिंदों को हाथियों से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं। हाथियों के निर्धारित आवाजाही वाले रास्तों में ग्रामीणों को बाधा नहीं पहुंचाने की सलाह दी गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक दो दर्जन हाथियों में कुछ बच्चे भी शामिल हंै। बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाथी जरा भी इंसानी दखल पसंद नहीं करते हैं। यही कारण है कि हाथियों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और दूर रहने की जानकारी ग्रामीणों को मैदानी अमले की ओर से दी जा रही है।