जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 12 अक्टूबर। पत्थलगांव से 12 किलोमीटर की दूरी में स्थित कछार शिव मंदिर में नवरात्रि पर्व की धूम है।
कछार शिव मंदिर में नवरात्र पर्व की धूम है। पूरे मंदिर परिसर को खूब सजाया गया है। रोजाना भक्तों पहुच रहे है। पूजा पाठ करने रोजाना आरती में शामिल होरहे हैं। महिलाएं काफी दूर दराज गांव के साथ पत्थलगांव के भक्त भी पहुच रहे है। रात्रि आरती में रात्रि माँ दुर्गा की आरती पश्चात माता की रसोई का प्रसाद वितरण किया जाता है। जिसके लिए वहां पहुचे भक्त काफी इंतजार करते रहते है। बच्चे से लेकर बड़े सभी कछार मंदिर में पूरे भक्तिमय होकर पूजा आरती में शामिल होते है। वही मनोकामना ज्योति कलश भी प्रज्वलित है। जहां भक्त अपने लिए अपने परिवार की सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हुए ज्योति कलश की ज्योत लगवा कर माता रानी से आशीर्वाद प्राप्त करते है।
बनारस से आए हुए महाराज चंद्रेश्वर मिश्रा ने बताया कि नवरात्रि पर्व में रात्रि का कोई विशेष महत्व नहीं होता तो उत्सव को रात्रि ना कह कर दिन ही कहा जाता नवरात्रि का अर्थ होता है।नवराते नवरात्र शब्द से नवरात्र विशेष रात्रिओं का बोध होता है। इस समय शक्ति के नौ रूपों की उपासना की जाती है। क्योंकि रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत के प्राचीन ऋषि मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा ज्यादा महत्व दिया गया है। यही कारण है कि दीपावली होलिका शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई रहस्य ना होता तो ऐसे उत्सव को रात्रि ना कहकर दिन ही कहा जाता है। जैसे 9 दिन, शिवदीन लेकिन हम ऐसा नहीं करते नवरात्र में जो लोग नव दिनों का व्रत रखेंगे वे दशमी को पारण करेंगे जो पहली बार अष्टमी का उपवास करते हैं। वे नवमी को पारण करेंगे नवरात्र में जो दुर्गा सप्तशती का पाठ नही कर सकते वे नर्वाण मन्त्र का जाप करें दुर्गा चालीसा का पाठ करें उत्तम फलदायी रहेगा।
पूरे नवरात्रि पर्व में मंदिर समिति के साथ अन्य भक्त आरती से लेकर माता की रसोई और अन्य कार्यो में लगे रहते है। पटेल, कृष्ण अग्रवाल, चिंटू अग्रवाल, ऋषि बेहरा, मोहन अग्रवाल, रजत अग्रवाल, पंडित नीरेन्द्र द्विवेदी, गोपाल अग्रवाल, संतोष यादव, खितिस खुटिया, नंद लाल यादव, आयुष अग्रवाल, कृष्ण मुरारी डनसेना, सहित अन्य भक्त रोजाना नवरात्रि पर्व में शिव मंदिर में पहुच कर हाथ बटाटे है।