रायगढ़
पहाड़ी पर बने चक्र व हथियार बन चुके हैं आस्था का प्रतीक, घरघोड़ा अंचल की तीन पहाडिय़ां अपने में समेटे हैं रहस्य का संसार
नरेश शर्मा
रायगढ़, 13 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़ संवाददाता’)। रायगढ़ जिला पहाड़ों से घिरा है। यहां के अलग-अलग क्षेत्रों के पहाड़ों की एक अलग ही कहानी है। जहां जिले के कई पहाडिय़ों में पुरातात्विक शैल चित्र आज भी पाए जाते हैं, वहीं कई पहाड़ ऐसे भी हैं, जहां खजाना होने की बात उस क्षेत्र के ग्रामीण करते हैं। ऐसा ही एक पहाड़ी रायगढ़ जिले से तकरीबन 45 किलो मीटर दूर स्थित नवागढ़ में है।
चांदरानी के नाम से मशहूर इस पहाड़ में बहुत सारा खजाना होने की बात यहां के ग्रामीण करते हैं। इसके अलावा यहां के पहाड़ में एक गुफा है, जिसमें राजा महाराजा जमाने के औजार आज भी देखे जा सकते हैं। गांव के बड़े बुजुर्गों के अनुसार वे अपने पूर्वजों से यहां की चमत्कारी कथाएं सुनते आ रहे हैं।
रायगढ़ जिले के सिंघनपुर गुफा, बादलखोल, बोतल्दा रॉक गार्डन, कबरा पहाड़ में कई शैलचित्र, और पुरातात्विक महत्व की बहुत सारी कलाकृतियां आज भी देखी जा सकती है। उन्ही में से एक और पहाड़ी रायगढ़ से 45 किलोमीटर दूर नवागढ़ में चांदरानी का मंदिर है। इस चमत्कारी पहाड़ी के बारे में जैसे ही हमे पता चला हम यहां की कहानी जानने और लोगों को यहां की चमत्कारी कथाओं से रूबरू कराने 45 किलोमीटर सफर कर पहाड़ की दुर्गम रास्तों की चढ़ाई करने के बाद 400 मीटर का सफर तय कर जब उस चक्र तक पहुंचे। तब वहां का नजारा चकित करने वाला था। पहाड़ों पर फिल्मों और टीवी सीरियलों में दिखाए जाने वाला चक्र नुमा नुकीला आकार दूर-दूर तक अंकित था। मानों पहले जमाने में यहां कोई तिलस्मी दरवाजा हुआ करता था।
गांव वालों ने यहां की पहाड़ी को बुढ़ा रानी, चांद रानी और डोम रानी का नाम दिया जाता है और इसी नाम से यहां पूजा किया जाता है। खासकर चैत्र नवरात्र में यहां विशेष पूजा होती है। इस पूजा में शामिल होने रायगढ़ राज परिवार के राजा यहां नवमी के दिन शामिल होते हैं। यहां के पहाड़ी की चोटी पर चक्र शिलालेख बना हुआ है।
गांव के ग्रामीण बताते हैं कि पूर्वजों के बताए अनुसार जो भी व्यक्ति इस चक्र में अंकित शब्दों को पढ़ लेगा, इस गुफा का द्वार खुल जाएगा। देश के कई हिस्सों के अलावा बाहरी देश के लोग भी यहां आकर चक्र में अंकित शब्दों का पढऩे का प्रयास कर चुके हैं। मगर कोई सफल नहीं हो पाया। इस गुफा के अंदर के बहमूल्य सोने चांदी के जेवरात होने का दावा यहां के ग्रामीण आज भी करते हैं।
गांववालों के अनुसार इस गुफा की रक्षा किसी दैव्य शक्ति के द्वारा की जाती है। इस पहाड़ी से कुछ दूरी पर एक गुफा में पुराने जमाने के कई हथियार रखे हुए है। ‘छत्तीसगढ़’ ने यहां भी तकरीबन करीब डेढ़ सौ मीटर की चढ़ाई कर यहां रखे हुए पुराने जमाने के हथियार को अपने कैमरे में कैद किया है।
चांद रानी पहाड़ी पर बने चक्र और शिलालेख के बारे में पूर्वजों से सुनते आ रहे ग्रामीणों का कहना है कि गुफा में पूरे विश्व के ढाई दिन के खर्च के बराबर धन छुपा हुआ है, लेकिन शिलालेख को अभी तक किसी ने पढऩे में सफलता नहीं पाई है। यदि कोई इस शिलालेख को पढ़ लेगा तो उसे धन का रास्ता मिल जाएगा। वन विभाग के कुछ बीट गार्ड पहाड़ में अंकित शिलालेख और हथियार को देखने की बात को मानते हंै।
ग्रामीणों की आस्था कहे या अंध विश्वास जिनके सहारे ये हथियार और शिलालेख आज भी सुरक्षित देखने को मिल पा रहा है। इससे साफ जाहिर है कि सैकड़ों साल से रखे हथियार और शिलालेख जिनका संरक्षण करना प्रशासन का काम है। यहां पर न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और नहीं पंचायत। जबकि पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर लाखों करोड़ों रूपये खर्च कर दिये जाते हंै।
मुराद होती है पूरी
परिवार समेत कई किलोमीटर पैदल चलकर चांदरानी मंदिर दर्शन करने आए ग्रामीण ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि वह मूलत घरघोडा का रहने वाला है। लेकिन प्रतिवर्ष वह यहां आकर मां चांदरानी का दर्शन करता है। क्योंकि वह यहां की चमत्कारी शक्तियों पर आस्था रखता है। उसने बताया कि यहां सच्चे तन मन से मां से कुछ भी मांगों उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है।
अंधविश्वास या फिर आस्था
गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि इस पहाड़ी में कोई भी विवाहित बगैर पुजारी के पूजा पाठ किये बिना पहाड़ी में नहीं चढ़ता। अगर वह बिना पुजारी के पूजा किये पहाड़ में स्थित चक्र या फिर गुफा के हथियार तक पहुंच भी जाता है तो उसकी मानसिक स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए पुजारी के पूजा पाठ से पहले कोई भी विवाहित व्यक्ति उस पहाड़ी में नहीं चढ़ता।
खतरों से भरी है डगर
कहते हैं जहां खजाना छुपा होता है या फिर कहीं कोई पुरातत्व सामग्री होती हैं वहां की रक्षा कोई दैविक शक्ति करती है। चांद रानी पहाड़ी की भी कुछ ऐसी कहानी है। गांव वालों के अनुसार जिस पहाड़ में चक्र और राजा महाराजाओं का हथियार छुपा है, उस पहाड़ में कई जहरीले जीव जंतु जैसे सांप, बिच्छु और जंगली मधुमक्खियों के अलावा कई और जंगली जानवर हैं। गांव वालों के अनुसार जो भी गलत नीयत से इस पहाड़ में चढ़ेगा, उसके साथ कोई अनहोनी घटना घट सकती है।
पर्यटक स्थल के रूप में हो सकता है विकसित
रायगढ़ जिले के पहाडिय़ों की अलग-अलग कहानियां बरसों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। हर कोई यहां की कहानी और यहां छुपे रहस्यों को जानने लालायित रहता है। ऐसी स्थित में प्रशासन को ऐसे जगहों को चयनित करके यहां के कायाकल्प करने की दिशा में पहल करनी चाहिए ताकि जिले की चमत्कारी कहानी दूर दूर तक पहुंचे और लोग यहां आकर अंचल वासियों के मान्यताओं और आस्था से रूबरू हो सकें।