रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अक्टूबर। हसदेव क्षेत्र को खनन से बचाने के लिए 10 दिनी यात्रा बुधवार को यहां पहुंची। सरगुजा के हसदेव अरण्य क्षेत्र के 30 गांवों के 250 से अधिक आदिवासी ‘हसदेव बचाओ पदयात्रा’ के बैनर तले यात्रा में शामिल हुए।
पदयात्रियों की मांग है कि बिना ग्राम सभा की सहमति के क्षेत्र में कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास) अधिनियम के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल रद्द किया जाए। इसके अलावा इस क्षेत्र में सभी कोयला खनन परियोजनाओं को रद्द करें। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में किसी भी कानून के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए आगे बढऩे से पहले च्पेसा’ अधिनियम, 1996 के अनुसार निश्चित ग्राम सभा सहमति के प्रावधान को लागू करें।
परसा कोयला ब्लॉक के लिए फर्जी प्रस्ताव पत्र बनाकर प्राप्त की गयी वन मंजूरी को तत्काल रद्द करें, और फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी व कंपनी के खिलाफ कार्यवाही करें। सभी गांवों में समुदाय और व्यक्तिगत स्तर के वन अधिकारों को मान्यता दें, और घाटबर्रा गांव के निरस्त किये सामुदायिक वन अधिकारों को बहाल करें। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधानों का पालन करें।
बताया गया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उत्तरी छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन क्षेत्र को तबाह करने की क्षमता वाली कोयला खनन परियोजनाओं की मंजूरी के खिलाफ स्थानीय आदिवासी समुदाय और पूरी ग्राम सभा 2014 से ही लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के प्राचीन और वन भूमि के सबसे बड़े सन्निहित क्षेत्रों को समाये हुए है।