राजनांदगांव

दूसरों के घरों को रौशनी देने वाले कुंभकारों के जीवन में अब भी अंधेरा
23-Oct-2021 2:01 PM
दूसरों के घरों को रौशनी देने वाले कुंभकारों के जीवन में अब भी अंधेरा

तस्वीर / ‘छत्तीसगढ़’ / अभिषेक यादव

   कोरोना से हालत और हुई पस्त, इस दिवाली अच्छे कारोबार की उम्मीद   

प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 23 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
मिट्टी से दीये और मूर्तियों का कारोबार करने वाले कुंभकारों की हालत गुजरे दो साल में बेहद पस्त हो गई है। कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि दो साल में आजीविका चलाने के लिए दूसरे काम भी करने पड़े। राजनांदगांव शहर से सटे मोहारा की बस्ती को कुंभकारों के रहवास वाले इलाके के रूप में भी जाना जाता है। यहां के मौजूदा कुंभकार आने वाले दिवाली में आथिक ताकत मिलने की आस लगाकर दीये और मूर्तियां बना रहे हैं। परंपरागत मिट्टी के दीयों की दिवाली पर्व में खासी मांग होती है। गुजरे साल दिवाली में व्यवसायिक गतिविधियां सिमटी रही। इसका असर कुंभकारों पर भी पड़ा। इस दिवाली मुनाफा होने की उम्मीद लेकर घर-परिवार एक होकर मिट्टी के दीये और मूर्तियों को आकार दे रहा है। कुंभकारों की हालत पर नजर डाले तो उनकी पीढिय़ां गुजर गई, पर आर्थिक संपन्नता उनकी दहलीज से दूर रही। कुंभकार यह मानते हैं कि बदलते दौर में दीयों की मांग भी घटी है। मिट्टी से दीये, मूर्तियां बनाने की हुनर के कारण इस व्यवसाय से कुंभकार अब भी  जुड़े हुए हैं।

इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने कुंभकारों की स्थिति पर चर्चा की। 70 वर्षीय सूरजदीन प्रजापति ने कहा कि सदियां गुजर गई, लेकिन कुंभकारों के हालात में सुधार नहीं आया। बदलते जमाने के साथ ही कारोबार का स्वरूप भी घट गया है। जिसके चलते जरूरी अवसरों पर दूसरे काम भी करने पड़ते हैं। सूरजदीन का कहना है कि दूसरों के घर-आंगन को रौशन करते उनका  समुदाय मिट्टी से जुड़ा हुआ है, लेकिन उनके खुद के जीवन में आर्थिक तंगी से हमेशा अंधेरा रहा है। महिला कुंभकार शामबती प्रजापति कहती है कि कोरोना के कारण जीवन संकट में रहा। व्यवसायिक दायरे पर भी कोरोना का दखल रहा। दीये और मूर्तियों के साथ-साथ दूसरे मिट्टी से निर्मित सामान की मांग भी घट गई। गुजरा दो साल कोरोना के चलते तंगी भरा रहा।  एक अन्य कुंभकार राजेश प्रजापति ने कहा कि बीते साल तैयार माल पूरी तरह से बर्बाद हो गया। इस साल  20 से 22 हजार दीये बनाए हैं और मूर्तियां भी तैयार की गई है। राजेश का कहना है कि उम्मीद है कि अब हालात सामान्य होने के बाद उनके कारोबार को गति मिलेगी। पूरा परिवार इसी कारोबार से भरण-पोषण करता है। दीये की खपत होने से कुंभकारों को आर्थिक संबलता भी मिलेगी।

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