महासमुन्द

सौर सिंचाई से बदली अछोला के किसानों की बदली तकदीर: क्रेडा के सहयोग से मिला सौर सामुदायिक सिंचाई योजना का लाभ
24-Oct-2021 5:53 PM
सौर सिंचाई से बदली अछोला के किसानों की बदली तकदीर: क्रेडा के सहयोग से मिला सौर सामुदायिक सिंचाई योजना का लाभ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 अक्टूबर।
जिला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 20 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में ग्राम अछोला स्थित है। यहां के किसानों को सिर्फ  मानसूनी बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, क्योंकि क्रेडा द्वारा पॉवर फायनेस कॉरर्पोरेशन लिमिटेड केसहयोग एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण के वित्तीय सहयोग से 10 एचपी क्षमता के 4 सोलर सामुदायिक सिंचाई पंप सोलर पंप की स्थापना की गई है। जिसमें लगभग 11 हजार 500 मीटर पाईप लाईन बिछाकर समोदा बैराज का पानी किसानों के खेतों में पहुंचाया जा रहा है।

ज्ञात हो कि इस गांव के नजदीक समोदा बैराज है जहां सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है। परन्तु विद्युत बाधित होने एवं डीजल पंपों में आवश्यकता से अधिक व्यय होने के कारण अछोला के किसान समोदा बैराज के जल का समुचित उपयोग सिचंाई के लिए नहीं कर पाते थे। ऐसे में ग्राम अछोला के किसानों को अब संजीवनी मिल गई है।

सहायक अभियंता क्रेडा नंद कुमार गायकवाड़ ने बताया कि अब यहां के किसानों को सिर्फ  मानसूनी बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता क्योंकि क्रेडा द्वारा पॉवर फायनेस कॉरर्पोरेशन लिमिटेड केसहयोग एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण के वित्तीय सहयोग से 10 एचपी क्षमता के 04 नग सोलर सामुदायिक सिंचाई पंप सोलर पंप की स्थापना की गई है। जिसमें लगभग 11 हजार 500 मीटर पाईप लाईन बिछाकर समोदा बैराज का पानी कृषकों के खेतों में पहुंचाया जा रहा है। जिसमें 57 खाताधारी एवं अन्य कृषकों द्वारा इस योजना का लाभ लेकर लगभग 67 हेक्टेयर 167.5 एकड़ खेतों में सिंचाई कर रहे हंै। इससे यहां के किसानों को काफी राहत मिली और किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही हैं।

वर्तमान में कृषक अपने खेतों में सब्जी भाजी जैसे करेला, भिन्डी, बरबट्टी, टमाटर, खीरा लगाकर लाभ प्राप्त कर रहे हंै। इसी प्रकार अन्य कृषकों द्वारा अपने खेतों में धान के अलावा गेहूं, चना, मसूर की बोवाई की गई है। इसी तरह अन्य कृषक भी तैयारी कर रहे हैं। जिले में मानसून पर निर्भर रहने वाले कृषकों की संख्या बहुत हैं। उनके पास कृषि हेतु भूमि तो उपलब्ध है, किन्तु सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे कृषक अपने कृषि भूमि के निकट जल स्त्रोतों जैसे नदी, नाला उपलब्ध होने पर डीजल, केरोसिन पंप स्थापित कर सिंचाई के लिए जलापूर्ति करते हैं। या फिर जलस्त्रोत उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में साल भर बारिश का इंतजार करते हैं। एस हालत में कृषि कार्य काफ ी प्रभावित होती है और बारिश नहीं होने पर किसानों का फसल बर्बाद हो जाता है। इससे कृषक आर्थिक रूप से  कमजोर होते चले जाते हंै। इससे उनके परिवारों के लिए भरण.पोषण की विकराल समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पावर फाईनेन्स कॉर्पोरेशन भारत सरकार का उपक्रम नई दिल्ली के पहल एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा क्रेडा के वित्तीय सहयोग से राज्य के ऐसे स्थलों जहां स्टाप डैम, बैराजों एवं जैसे जल स्त्रोंतों, जहां पर्याप्त मात्रा में सरफेस वाटर उपलब्ध है, वहां सौर सामुदायिक सिंचाई योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप के साथ.साथ सिविल अधोसंरचना एवं पाईप लाईन विस्तार कर सिंचाई कार्य किया जा रहा हैं।

इस साल शुरू में कम बारिश से फसल को जो नुकसान होने वाला था, वह नुकसान इस योजना के कारण नहीं हो पाया। खेतों को समय पर पानी मिला। इससे यहां के किसानों में काफी खुशी है। सौर सिंचाई योजना से अब किसानों की तकदीर बदलने लगी हैं।     

इस योजना के शुरू होने के बाद किसानों को विद्युत के लिए किसी भी प्रकार का बिजली बिल नहीं देना पड़ता है। जिससे सरकार के बिजली बचत करने में भी मदद मिल रही है एवं किसानों को अनावश्यक खर्चों से भी मुक्ति मिली है। पंप स्थापित करने से किसानों को लगभग प्रतिदिन 150 से 160 यूनिट अर्थात माह में 4500 से 4800 यूनिट तक की बिजली की बचत होती है। जिसकी अनुमानित बचत  प्रतिमाह लगभग 25 हजार तक हो रही है। इसके अलावा लगभग 2421 किलो कोयला की बचत एवं कोयले के जलने से उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाईऑक्साईड धुएं से मुक्ति मिली हैं।
 

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