महासमुन्द
आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि देने सहित कई मांगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 अक्टूबर। पिछले दो सालों से सरकार ने निजी स्कूलों को आरटीई की बकाया प्रतिपूर्ति राशि नहीं दी है। इसके विरोध में आज जिले के 226 प्राइवेट स्कूल बंद हैं। अपनी चार सूत्रीय मांगों के समर्थन में निजी स्कूलों के संचालक आज राजधानी रायपुर में प्रदर्शन कर रहे हैं।
जानकारी अनुसार पिछले दो सालों से आरटीई के तहत आरक्षित सीटों में प्रवेश देने के बाद इन बच्चों के फीस का भुगतान नहीं हुआ है। इसी के विरोध में प्रदेश भर के निजी स्कूल सोमवार को बंद हैं। इन स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है और पूर्णत: तालाबंदी है।
महासमुंद जिले में एसोसिएशन के आह्वान पर स्कूल बंद करने का निर्णय लिया गया है। सोमवार को जिले के करीब 226 निजी स्कूल एसोसिएशन का समर्थन करते हुए बंद रखने का निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि एसोसिएशन अपने चार सूत्रीय मांग पूरी नहीं होने के विरोध में प्रदर्शन का निर्णय लिया है।
इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय कहते हैं कि वर्ष 2019 का भुगतान हुआ है, लेकिन इसमें से कुछ का भुगतान शेष है, वहीं शिक्षा सत्र 2020 का भुगतान भी बाकी है। राशि का भुगतान शासन स्तर से होता है। कोविड के कारण कुछ परेशानियां भुगतान को लेकर हो रही हैं। ऐसे में हमारी अपील है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न करें और स्कूल खोलें।
मालूम हो कि इन स्कूलों में हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि अशासकीय विद्यालयों को अविलंब प्रदान करने, कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक विद्यार्थियों की प्रतिपूर्ति राशि भी प्रदान करने, 16 महीने प्रदेश के सभी स्कूल बसों का रोड टैक्स माफ करने, बसों की पात्रता अवधि 12 से 14 वर्ष आगे बढ़ाने की मांग जारी है।
महासमुंद जिले के निजी स्कूल संचालक कहते हैं कि प्रदेशभर में नवीन मान्यता, नवीनीकरण पर स्कूल शिक्षा विभाग का अडिय़ल रवैया जारी है। पूरे प्रदेश में मान्यता की प्रक्रिया 2 से 3 साल विलंब से चल रही है। बार-बार स्कूल संचालकों को दफ्तरों के चक्कर लगवाए जा रहे हैं। बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत प्रवेशित विद्यार्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग गणवेश एवं पुस्तकें वास्तविक दर से उपलबध कराए, यह प्राथमिक रूप से राज्य शाासन और स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है।
निजी स्कूल शिशु संकार के अध्यक्ष पारस चोपड़ा का कहना है कि छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसियेशन के आह्वान पर शिशु कल्याण शिक्षा समिति शिशु संस्कार केन्द्र एवं संस्कार पब्लिक स्कूल आज बंद हैं। स्कूल में अवकाश दे दिया गया है। 26 अक्टूबर से शाला फिर से यथावत रहेगी। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन की 4 सूत्रीय मांगे हैं, जो पूर्व में शासन-प्रशासन के सामने रखी गई है, लेकिन आज तक मांगों पर विचार नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि आरटीई के तहत शासन समय पर रुपए का भी भुगतान नहीं करती है।
न्यू होली पेथ स्कूल के संचालक महेन्द्र जैन का कहना है कि कोरोना की वजह से पहले ही दो साल से स्कूल बंद है। इसकी वजह से संचालन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। वर्तमान में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल पालकों ने जून से ही स्कूल में प्रवेश लिया है, लेकिन फीस अभी तक नहीं दी है। कटौती करने के बावजूद फीस नहीं दे रहे हैं। वहीं सरकार भी आरटीई के तहत जो भुगतान करती है, वो भी अभी तक नहीं मिला है। जबकि प्रबंधन के द्वारा गणवेश का वितरण कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि समर्थन में आज स्कूल बंद है।
गौरतलब है कि महासमुंद जिले में 350 स्कूल, 226 आरटीई से जुड़े हैं। जिले में लगभग 350 से अधिक निजी स्कूल संचालित है, इसमें से 226 निजी स्कूल आरटीई से संबद्ध है। इन स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इसके अलावा इन स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने के लिए बसों का उपयोग किया जाता है। जिलेभर में करीब 58 निजी स्कूलों की बसें हैं। संचालकों की मानें तो उनके द्वारा कोरोनाकाल में भी बसों का टैक्स अदा किया गया है, जबकि बसें चली नहीं हैं।