गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
छुरा, 30 अक्टूबर। आफिसर ट्रेनिंग अकादमी कामठी, नागपुर से लौटे आईएसबीएम विश्वविद्यालय के एनसीसी प्रभारी सहा. प्राध्यापक गोकुल साहू का विवि परिवार ने भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने नागपुर अकादमी में तीन माह की कठिन ट्रेनिंग प्राप्त कर लेफ्टिनेंट की मानद उपाधि हासिल की है।
विवि कुल सचिव डॉ. बीपी भोल के नेतृत्व में नेशनल कैडेट कोर्प्स के छात्र-छात्राओं ने लेफ्टिनेंट गोकुल साहू के विवि के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही पायलेटिंग कर स्वागत किया। इसके बाद वे अपने कैडेट्स की अगुआई में विवि परिसर में दाखिल हुईं। सभाकक्ष के बाहर अधीनस्थ प्राध्यापकों समेत पूरे विश्वविद्यालय परिवार ने गोकुल साहू को पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया।
आईएसबीएम विश्वविद्यालय कुल सचिव डॉ. बीपी भोल ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारे विवि के लिए गर्व का क्षण है, जो विवि परिवार के एक सदस्य ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर गौरवान्वित होने का अवसर दिया है। निश्चित तौर पर लेफ्टिनेंट गोकुल साहू के अनुभव का लाभ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को मिलेगा और वे भारतीय रक्षा संस्थाओं में करियर की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त होगा। लेफ्टिनेंट गोकुल साहू को पहली बार आफिसर की कडक़ वर्दी में देख उनके कैडेट्स काफी उत्साहित नजर आए। उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान मिले अनुभव साझा कर कैडेट्स का मार्गदर्शन किया।
गोकुल साहू विवि के विज्ञान संकाय विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत् हैं। उनके स्वागत व सम्मान के इस कार्यक्रम के दौरान विवि डीन एन कुमार स्वामी, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. भूपेंद्र साहू, विज्ञान संकाय विभागाध्यक्ष डॉ. सोहन लाल साहू सहित समस्त विभागों के विभागाध्यक्ष एवं सहा. प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर सीनियर अंडर आफिसर चंद्रशेखर सहित सैकड़ों की संख्या छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
विवि के एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट गोकुल साहू ने बताया कि एनसीसी को सेकेंड लाइन ऑफ आर्मी यानी सेना की दूसरी पंक्ति कहा जाता है। तीन माह की उनकी ओटीए की ट्रेनिंग काफी कठिन रहा है। इस दौरान उन्हें वह सब सीखने को मिला, जो नेशनल कैडेट कोर्प्स के छात्र सैनिकों को कालेज और विभिन्ना एनसीसी शिविरों में भाग लेकर जानने और सीखने मिलता है। इनमें ड्रिल की बारिकियां, वर्दी का अनुशासन, हथियारों को खोलने-जोडऩे, चलाने व मेनटेनेंस करने की विधियां शामिल हैं। खासकर बंदूकों की फायरिंग और इनसे जुड़ा प्रशिक्षण जीवन का एक रोमांचक अनुभव रहा।