बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 नवंबर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में घायल पाई गई बाघिन रजनी स्वस्थ होने के बाद स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से जूझ रही है। उसके कमर में सूजन है और अपने पैरों से उठ नहीं पा रही है। उसके इलाज में डॉक्टरों की एक टीम लगी हुई है।
5 नवंबर को सुबह जू कीपर ने कानन पेंडारी प्रबंधन को बताया कि टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन रजनी अपने पिछले पैरों को उठाने में असमर्थ है और वह पिंजरे से बाहर नहीं निकल पा रही है। यह मालूम हुआ कि उसके कमर में तकलीफ है। 2 दिन तक स्थानीय पशु चिकित्सकों ने बाघिन की इंफ्रारेड वार्मिंग की, लेकिन उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ।
इसके बाद 7 नवंबर को कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग से डॉक्टरों की टीम यहां पहुंची। इनमें मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ एस राय, सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेंसिक के निदेशक डॉ एस एल अली, सहायक प्राध्यापक डॉ कलीम सर्जरी के असिस्टेंट डॉ आर एन त्रिपाठी व डॉ अनूप चटर्जी के अलावा नंदनवन रायपुर के डॉ राकेश वर्मा ने पहुंच कर बाघिन के स्वास्थ्य की जांच की।
चिकित्सकों ने पाया कि बाघिन के शरीर का पिछला हिस्सा कभी कमजोर हो चुका है और उसे इंफ्रारेड फिजियोथैरेपी कराने की आवश्यकता है। बाघिन रजनी का सीटी स्कैन भी कराया गया है। उसे विटामिन और कैल्शियम की दवाइयां दी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि अचानकमार अभ्यारण्य में 6 जून को एक तालाब के पीछे घायल अवस्था में रजनी को देखा गया था। 8 जून को उसे रेस्क्यू कर कानन पेंडारी लाया गया था। डील डौल से यह पता चला कि वह किसी दूसरे अभयारण्य से भटक कर यहां पहुंची है। विशेषज्ञों के मुताबिक वह कान्हा नेशनल पार्क की हो सकती है।
कुछ समय पहले वह स्वस्थ हो चुकी थी। इसके बाद उसे वापस जंगल में छोड़ने पर भी विचार किया जा रहा था। बाद में अनुकूल रहवास नहीं मिल पाने की आशंका को देखते हुए यह निर्णय स्थगित कर दिया गया। उसके घायल हो जाने के बाद अब जू प्रबंधन की पहली प्राथमिकता उसे स्वस्थ करना है। बाघिन के इलाज में अब तक 5 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं।