बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 14 नवंबर। एक ओर शिक्षा व्यवस्था के लोकव्यापीकरण के लिए योजनाएं संचालित की जा रही हैं और दूसरी ओर शासन से राशि जारी होने के बावजूद उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। बालोद जिले के शासकीय स्कूलों के मरम्मत हेतु राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई 28 लाख रुपये की राशि तकरीबन पांच माह से पड़ी है।
विकासखंड शिक्षाधिकारियों के माध्यम से मरम्मत योग्य विद्यालयों की सूची कई माह पहले मंगाने के बावजूद स्कूल भवनों की मरम्मत शुरू नही की जा सकी है। जिले के दर्जनों स्कूल ऐसे हैं, जहां बारिश होते ही छत से पानी टपकता है। बैठने तक की जगह विद्यार्थियों को नहीं हो पाती। बावजूद शिक्षा विभाग स्कूलों की मरम्मत के लिए कोई कदम ही नहीं उठा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग की प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत वित्तीय वर्ष 2021-22 में शाला भवनों के मरम्मत तथा लघु निर्माण कार्य हेतु राशि का आबंटन का किया जा चुका है।
शाला भवन मरम्मत व लघु निर्माण हेतु 28 लाख 35 हजार 400 रुपये स्वीकृत किए गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा उक्त राशि का चेक 22 जून 2021 को ही जिला शिक्षा विभाग को प्रेषित किया जा चुका है। शासन स्तर से जारी राशि का आहरण कर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शर्तो के अधीन सर्व सीईओ जनपद पंचायत जिला बालोद को राशि सौंपी गई है। बावजूद इसके आधा शिक्षा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूलों के मरम्मत की शुरूआत नहीं किया जा सका है। मामले में प्रभारी डीईओ से ‘छत्तीसगढ़’ ने संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
आधा शिक्षा सत्र बीता, राशि अभी भी पड़ी हुई है जाम
स्कूल भवनों के मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत किए जाने के पीछे शासन की मंशा थी कि ग्रीष्मावकाश में इस राशि का उपयोग हो जाए, जो शाला भवन खस्ताहाल व मरम्मत योग्य हैं, उन शाला भवनों के लिए राशि स्वीकृत कर सुधार का सारा कार्य पूर्ण कर लिया जाए, ताकि नए शिक्षा सत्र में स्कूल खुलने के दौरान बारिश के सीजन में विद्यार्थियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। स्कूल शिक्षा विभाग व जनपद पंचायत के समन्वय से यह कार्य पूरा किया जाना था, लेकिन आधा शिक्षा सत्र बीत गया और शाला भवनों के मरम्मत के लिए शासन स्तर से जारी राशि खर्च ही नहीं की गई और यह राशि अभी भी जाम पड़ी हुई है।
कई स्कूल भवनों में रिसता है बरसात का पानी
बालोद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों स्कूल भवन मरम्मत योग्य हैं। कई स्कूल भवनों में बरसात का पानी रिसता है। दीवारों में क्रेक है। दरवाजे-खिड़कियां भी उखड़ी हुई हैं। फर्श भी उधड़ी है। शासन स्तर से राशि जारी होने के बाद ऐसे स्कूलों में पदस्थ शिक्षक-शिक्षिकाओं को उम्मीद थी कि ग्रीष्मावकाश में मरम्मत का सारा कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
जिले के 69 स्कूल मरम्मत योग्य
बालोद जि़ले के 69 शाला भवन मरम्मत योग्य हैं। डौंडी विकासखंड के अधिकांश खस्ताहाल शाला भवनों की छत से पानी टपकने की समस्या है। बीईओ से मरम्मत योग्य स्कूलों की सूची पहले ही भेज दी थी। शासन स्तर से स्कूल भवनों के मरम्मत के लिए अलग-अलग शीर्ष मद में राशि जारी की गई। इसमें प्रत्येक ब्लॉक में प्राथमिक, मिडिल व हायर सेकेंडरी तीनों प्रकार के स्कूल भवनों के लिए प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई थी, लेकिन एक भी स्कूल भवन के मरम्मत के लिए स्थानीय स्तर पर राशि स्वीकृत नहीं किया गया।
कई स्कूलों की हालत खराब
जि़ले के कई स्कूल भवनों का मरम्मत तत्काल कराना जरूरी है। लगभग 28 लाख रुपए की राशि स्वीकृत करने सभी बीईओ से ऐसे शाला भवनों की सूची मंगाई गई थी, जो मरम्मत योग्य हैं या जहां कोई लघु निर्माण कराना हो। जिले के विकासखंडों से बदहाल स्कूलों की सूची भी भेजी गई। लेकिन यह सूची फाइलों में दबकर कैद हो गई है।
जवाब देने से बच रहे अफसर
राशि प्राप्ति के बावजूद आज पर्यंत तक कार्य प्रारंभ नहीं होने को लेकर जब जनपद पंचायतों के सीईओ से बात की गई तो ज्यादातर सीईओ जवाब देने से बचते नजर आए। गुरुर जनपद के सीईओ का कहना है कि वहां तो अभी स्टीमेट तक नहीं बना है, वहीं जिला मुख्यालय के जनपद सीईओ मीडिया से कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।