दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 15 नवंबर। भारत सरकार द्वारा 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषणा के बाद एनएमडीसी ने भी यह दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। एनएमडीसी की बचेली परियोजना ने जनजातीय दिवस के उत्सव को मनाने हेतु एवं बिरसा मुंडा के त्याग एवं बलिदान को याद करने के लिए बचेली के बैला क्लब में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक पीके मजुमदार के द्वारा बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। ग्रामीण आदिवासियों के द्वारा वेशभूषा में नृत्य की प्रस्तुति दी गई। डीएव्ही बचेली के छात्राओ द्वारा हल्बी व गोंडी गीत पर मनमोहक नृत्य किया गया।
पीके मजुमदार ने बिरसा मुंडा के जीवनी के बारे में बताया। जिसमें उन्होंने कहा कि छोटानागपुर क्षेत्र के मुंडा जनजाति समूह को ब्रिटिश शासकों के शोषण से बचाने एवं अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिए उन्होने अपना नेतृत्व प्रदान किया। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के लिए 18वीं सदी से लेकर बीसवी सदी तक कई बार अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। आज भी बिहार, ओडिशा, झारंखड छग और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाके में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। उनकी वीरता वह समाज के प्रति समर्पण के महान कार्यो को याद करते हुए उन्हे सम्मान प्रदान करें व उनके नेतृत्व बलिदान को याद करें।
सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए सम्मान
दंतेवाड़ा जिला के दो व्यक्तिो को समाजिक कार्यो, ग्रामीण क्षेत्रो में जैव विविधता, वन संरक्षण जैसे कार्यो में अहम योगदान दिया है। जिसमे जिला के कुआकोंडा ब्लॉक के कोरीरास ग्राम के मासा राम कुंजाम एवं बालूद के ललित कुमार सोढ़ी को शाल व श्रीफल के साथ सम्मान करते हुए बस्तर कलाकृति की स्मृति चिंह भेंट किया गया।
मासा कुंजाम स्वयं शिक्षक है, जिन्होने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसका नतीजा है कि इनके क्षेत्र में आज बहुत से युवा उच्च शिक्षा में अपना लोहा मनवाते हुए मल्टी नेशनल कंपनी में कैंपस सेलेक्शन के माध्यम से कार्यरत है। अपने निवास स्थल में ही लगभग 10 एकड़ खेत में पारंपरिक और वैज्ञानिक रूप से विभिन्न प्रकार के खेती कार्य करते हुए क्षेत्र में कृषि कार्य का आधुनिक रूप प्रस्तुत करने में सफलता हासिल की है।
वहीं ललित सोढ़ी ने पर्यावरण सरंक्षण के अलावा अपने कुशल नेतृत्व में बहुत से आदिवासी युवाओ को साथ लेकर 2006 में बने भारतीय कानून अनुूसूचित जनजातीय और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 के तहत ग्राम क्षेत्रो में सामुदायिक अधिकार और वन संसाधन अधिकारी पर काम करते हुए वन परिस्थितिकीय प्रणाली को बचाने में कार्य करते आ रहे है। जिस संबंध में जिला प्रशासन के वन विभाग या राजस्व विभाग के साथ बहुत से प्रशिक्षण सह कार्यशाला में अपने सहभागिता होती है।
कार्यक्रम के दौरान उत्पादन महाप्रबंधक बी. वेंकटश्वर्लु, कार्मिक से उपमहाप्रबंधक धर्मेन्द्र आचार्य, जी. गणपत, सीएसआर उपमहाप्रबंधक सुनील उपाध्याय, आई विभाग के महाप्रबंधक पदमनाभम नाईक, एमएंडएस विभाग से रविन्द्र नारायण, विघुत महाप्रबंधक संजय बासु, सामाग्री महाप्रबंधक विजया भास्कर, खनन विभाग से बीएस कोसमा, सिविल से एमएम अग्रवाल, एसके पांडे, वित्त विभाग से विजय द्विवेदी, कार्मिक से वरिष्ठ प्रबंधक दीपक पॉल, शैलेन्द्र सोनी, एसएस शतपथी, एसएस बघेल, श्रमिक संघ से आशीष यादव, रवि मंडल, अशोक नाग, धीरज राणा व अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।