राजनांदगांव
राहुल गांधी के प्रयास से सरकार को वापस लेना पड़ा कानून
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 नवंबर। तीन कृषि कानून को वापस लिए जाने के निर्णय को किसानों को समर्पित करार देते राजनांदगांव शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रयास से केंद्र को अपने फैसले वापस लेने पड़े। साथ ही इस निर्णय को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में संभावित हार के डर से वापस लेना भी एक वजह रही।
शनिवार को कृषि कानून वापस लेने के फैसले को लेकर आयोजित पत्रकारवार्ता में शहर अध्यक्ष छाबड़ा ने कहा कि किसानों ने निरंतर विरोध कर एक लंबी लड़ाई की। नतीजतन कांग्रेस और किसानों के विरोध के मद्देनजजर केंद्र को अपना फैसला वापस लेना मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत के इतिहास में नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने किसानों के आंदोलन के लिए दमनकारी नीति अपनाई। भारत में इस सरकार ने जनहित के मांगों को दबाने के साथ-साथ तानाशाही प्रवृत्ति से लोगों के विरोध को खत्म करने का प्रयास किया है।
श्री छाबड़ा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में हुए उपचुनाव में मिली शिकस्त से केंद्र सरकार डर गई है। इसी वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए गए हैं। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां के सर्वे में भाजपा को हार मिलने की संभावना जताई गई है। इससे भयभीत हुए प्रधानमंत्री ने तीनों काले कानून को वापस लेने का निर्णय लिया है।
शहर अध्यक्ष श्री छाबड़ा ने कहा कि इस आंदोलन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने किसानों के साथ बराबरी की लड़ाई लड़ी। किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए भाजपाईयों द्वारा हत्याएं भी की गई है। इसी के चलते राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को पीडि़त परिवारों से मिलने से रोकते नजरबंद भी किया गया। श्री छाबड़ा ने कहा कि किसानों के आंदोलन के जरिये कांग्रेस ने विपक्ष को एकजुट रखा। जिसके कारण केंद्र को तीनों कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लेना पड़ा। पत्रकारवार्ता में श्रीकिशन खंडेलवाल, फिरोज अंसारी, सूर्यकांत जैन, आसिफ अली समेत अन्य लोग शामिल थे।