राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 नवंबर। शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय राजनंादगांव के हिन्दी विभाग में संस्था प्रमुख डॉ. सुमन सिंह बघेल के मार्गदर्शन में विशेष व्याख्यान का आयोजन का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य डॉ. कोमल सिंह सार्वा ने अपने व्याख्यान में काल विभाजन के बारे में कहा कि जब तक हम किसी युग की प्रवृृत्ति को, परिस्थिति को नहीं जानेंगे, तब तक हम उस युग के साहित्यकार का सम्यक मूल्यांकन नहीं कर पाएंगे, जिस प्रकार वस्तु के समग्र रूप का दर्शन करने के लिए भी उसके अंगों का ही निरीक्षण करना पड़ता है। उसकी उसी प्रकार साहित्य की अखंड परंपरा का अध्ययन करने के लिए काल-विभाजन की आवश्यकता है। काल विभाजन का आधार समान प्रवृत्ति एवं प्रकृति होती है तथा युगों का नामकरण यथा संभव मूल साहित्य-चेतना को आधार मानकर साहित्यिक प्रवृत्ति के अनुसार किया जाता है। युगों का सीमांकन मूल प्रवृत्तियों के आरंभ एवं अवसान के अनुसार माना जाता है। आचार्य शुक्ल का इतिहास हिन्दी के समस्त इतिहासों का आधार है। अत: सबसे पहले उनके द्वारा किए गए काल विभाजन का परिचय पाना आवश्यक है। तत्पश्चात डॉ. बृजबाला उइके ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. एमएल साव, प्राध्यापक, अर्थशास्त्र एवं कामिनी देवांगन अतिथि शिक्षक के रूप में उपस्थित थे।