कोरिया
बहिष्कार सफल हुआ तो ही फायदा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 26 नवम्बर। कोरिया जिले के बैकुंठपुर और चरचा शिवपुर नगर पालिका चुनाव 20 दिसंबर को होना है। परन्तु बीता कार्यकाल को लेकर कांग्रेस की कोई खास उपलब्धि नहीं है, जिससे उसकी राह आसान हो सके। वही हाल में कोरिया के विभाजन का पूरा ठीकरा कांग्रेस पर फूट रहा है, यदि चुनाव हुआ तो कांग्रेस को खासा नुकसान होने के पूरे आसार अभी से दिखने लगे है और बहिष्कार हुआ तो कांग्रेस नुकसान से बच जाएगी।
कोरिया के विभाजन से कांग्रेस को नुकसान सिर्फ बैकुंठपुर विधानसभा ही नहीं मनेन्द्रगढ़ और भरतपुर सोनहत में भी होना तय है। ऐसे में आगामी दिनों में होने वाले बैकुंठपुर विधानसभा के बैकुंठपुर और चरचा शिवपुर नगरीय चुनाव को लेकर कांग्रेस अब तक बैकफूट पर नजर आ रही है। बैकुंठपुर और चरचा शिवपुर दोनों नगर पालिका में कांग्रेस के अध्यक्ष काबिज थे, बैकुंठपुर में बीते 5 साल में कांग्रेस की कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आई है, सरकार आने के बाद से बैकुंठपुर शहर के बीचोंबीच गुजरने वाला एनएच 43 में बड़े बड़े गढ्ढों को भरने का कार्य 3 वर्ष में नहीं हो पाया।
कांग्रेस की विधायक अंबिका सिंहदेव के बनने के बाद सिर्फ गांधी पार्क का जीर्णोद्धार हो सका है। बाकि कांग्रेस के अध्यक्ष रहते शहर के सौंदर्यीकरण, साफ सफाई, पार्किंग की समस्या, पेयजल की सुविधा पर हालात वैसे के वैसे है। पूरे कार्यकाल में लोग बेहद नाराज रहे। वहीं चरचा शिवपुर में कुछ हद तक कॉलरी क्षेत्र होते हुए कुछ कार्य हुए है जो आज भी देखे जा सकते है।
हावी है गुटबाजी
कोरिया कांग्रेस में विधानसभा चुनाव पूर्व और वर्तमान में जबरदस्त गुटबाजी हावी है, कांग्रेसी एक दूसरे से पटकनी देने में कोई किसी से कम नहीं है। सरकार आने के बाद गुटबाजी और तेज हो चुकी है, शीर्ष नेताओं के अपने गुट है, एक विधानसभा वाला दूसरे विधानसभा पर रायपुर से दबाव डालकर नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड रहा है। जिसके कारण कांग्रेस का चुनाव में सफलता प्राप्त की डगर बेहद कठिन होती जा रही है। बैकुंठपुर के साथ रायपुर स्तर से जारी भेदभाव के कारण भी कोरिया कांग्रेस की हालत पतली हो चुकी है। दबाव ऐसा है कि कोई भी खुलकर आलाकमान हो अपनी व्यथा बताने आगे नहीं आ रहा है।
लोगों में नाराजगी
चरचा शिवपुर और बैकुंठपुर में सभी दलों के द्वारा कोरिया के विभाजन को लेकर बहिष्कार की घोषणा के बाद तय है कि कांग्रेस भाजपा में प्रदेश स्तर से चुनाव को लेकर दबाव आना शुरू हो गया है। कांग्रेस-भाजपा के जिला अध्यक्षों ने सार्वजनिक रूप से बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं, वहीं कोरिया के विभाजन को लेकर आमजन में कांग्रेस के प्रति बेहद गुस्सा देखा जा रहा है।
लोगों का कहना है कि यदि विभाजन किया भी गया तो यहां के लोगों की आवाज पूरजोर तरीके से मुख्यमंत्री तक नहीं रखी गई, वहीं मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचें प्रतिनिधिमंडल को जिस तरह से तिरस्कृत किया गया, उसका भी घाव दिल में छुपाए लोग बेहद क्षुब्ध होकर बात को दबाए बैठे हैं।
कांग्रेस को अच्छे से यह बात का अंदाजा है कि यदि चुनाव हुआ तो नुकसान होगा, परन्तु यदि बहिष्कार हुआ तो कुछ लाभ हो सकता है। ऐसे में बहिष्कार की घोषणा कांग्रेस के बाद उसे न तो उगलते बन रहा और न ही निगलते।