बलरामपुर

निलंबित प्राचार्य के बचाव में उतरे विधायक बृहस्पत, कहा-एक मंत्री के दबाव में कार्रवाई की गई
30-Nov-2021 11:42 AM
निलंबित प्राचार्य के बचाव में उतरे विधायक बृहस्पत, कहा-एक मंत्री के दबाव में कार्रवाई की गई

बलरामपुर 30 नवंबर। विधायक बृहस्पत सिंह, छात्राओं से छेड़खानी और नशाखोरी के आरोप में जांच के बाद निलंबित किए गए प्राचार्य डॉ आर बी सोनवानी के समर्थन में उतर गये हैं। निलंबित प्राचार्य के समर्थन में 27 नवंबर को छात्राओं और कर्मचारियों ने भी धरना दिया था।

विधायक ने कहा है कि शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह ने उनका निलंबन एक मंत्री के दबाव में किया है। इस संबंध में वे मुख्यमंत्री से कहेंगे कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और निलंबन वापस करें। कॉलेज की पढ़ाई करने वाली हमारे गांव की बच्चियां गरीब परिवारों की हैं। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। प्रिंसिपल ने कॉलेज में व्यवस्था और अनुशासन बढ़िया बना कर रखा था और आवारागर्दी करने वाले बच्चों को रोका था। प्रिंसिपल का धर्म है कि बच्चों को सुधारें। सभी छात्र-छात्राएं मांग कर रहे हैं कि प्राचार्य के निलंबन को वापस ले लिया जाए। हम निश्चित रूप से सरकार से बात करके उनका निलंबन वापस करायेंगे।

उल्लेखनीय है कि शासकीय लरंग साय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामानुजगंज में रसायन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक व प्रभारी प्राचार्य डॉ सोनवानी के विरुद्ध छात्राओं ने छेड़खानी, नशाखोरी, आपत्तिजनक व्यवहार, गरिमा के विरुद्ध आचरण की शिकायत की थी। इसके बाद कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी, साथ ही चक्का जाम और हड़ताल भी किया था। इसी बीच प्राचार्य का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह छात्र-छात्राओं के साथ नृत्य करते दिख रहे थे, जिसे लेकर भी उनकी आलोचना हुई थी। प्राचार्य पर जाति संबंधी मामलों में फंसा देने की धमकी देने का भी आरोप था।  छात्राओं के आरोपों की उच्च शिक्षा आयुक्त ने जांच कराई थी और विशेष सचिव ने एक आदेश जारी कर 26 नवंबर को उनको निलंबित दिया था। रामानुजगंज कॉलेज के प्राचार्य का प्रभार शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर के प्राचार्य को दिया गया।

इसके अगले दिन कॉलेज की छात्र-छात्राओं और कर्मचारियों ने प्राचार्य के समर्थन में गेट पर धरना दे दिया। उनका कहना था कि सन् 2016 में डॉ. सोनवानी के आने के बाद कॉलेज की व्यवस्था व गुणवत्ता सुधरी है। दर्ज संख्या भी बढ़कर 450 से 1300 हो चुकी है। उनके निलंबन की कार्रवाई गलत है, जिसे वापस लिया जाना चाहिये। एसडीएम के हस्तक्षेप के बाद यह आंदोलन समाप्त हुआ था।  

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