महासमुन्द
एक-दो दिन और देखने के बाद पानी सप्लाई को फिर से बहाल करने की तैयारी है-नपाध्यक्ष
पीएचई ने नपा को सौंपी रिपोर्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 1 दिसंबर। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) महासमुंद ने नगर पालिका को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महानदी में स्थित निसदा बैराज का पानी, फिल्टर प्लांट और शहर की तीन ओवरहेड टंकियों का पानी पीने योग्य है और इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। कल पीएचई ने पानी टेस्टिंग की पूरी रिपोर्ट नगर पालिका को सौंपी।
अपनी रिपोर्ट में पीएचई के अफसरों ने बताया कि पानी पीने योग्य है और अब उसमें से गंध भी नहीं आ रही है। हालांकि रिपोर्ट आने के बाद अब फिल्टर प्लांट के जरिए ओवरहेड टंकियों से पानी की सप्लाई कब शुरू की जाएगी, यह अभी तय नहीं है।
इस संबंध में पालिका प्रशासन का कहना है कि अगले दो दिन और इंतजार किया जाएगा। इसके बाद ही पानी सप्लाई पर कोई फैसला होगा। नगर पालिका के अध्यक्ष प्रकाश चंद्राकर ने कहा कि पीएचई से सैंपल कलेक्शन की जांच रिपोर्ट आ गई है। पीएचई की टीम ने पांच स्थानों से पानी का सैंपल लिया था और सभी की रिपोर्ट सही आई है। पहले की तुलना में पानी में गंध भी नहीं आ रही है। एक-दो दिन और देखने के बाद पानी सप्लाई की व्यवस्था को फिर से बहाल करने की तैयारी है।
पीएचई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पानी की समस्या को देखते हुए नगर पालिका क्षेत्र में महानदी के निसदा बैराज से रॉ.वाटर, फिल्टर प्लांट से क्लियर वाटर, बस स्टैंड पानी टंकी, नेहरू चौक पानी टंकी और पिटियाझर पानी टंकी के जरिए नलों में सप्लाई होने वाले पेयजल का सैंपल लिया गया था। इन अलग-अलग सैंपल्स की जांच पीएचई के लैब में ही हुआ था। पीएचई ने सैंपल को प्रयोगशाला के परीक्षण पैरामीटर के अनुरूप सुरक्षित पाया है। साथ ही फिल्टर प्लांटए पानी टंकियों की सफाई के पूर्व पानी में जो गंध आ रही थी, वह सफाई के बाद पानी में लगभग खत्म हो गई है।
गौरतलब है कि 15 नवंबर से पहले से शहर के नलों से गंदा बदबूदार पानी सप्लाई हो रहा है। फिल्टर प्लांट और सभी ओवरहेड टैंक की सफाई की गई है। वहीं इसी बीच जानकारी मिली की निसदा बैराज में ही महानदी का पानी बदबूदार हो चुका है। इन्हीं कारणों को देखते हुए 21 नवंबर से शहर में पानी की सप्लाई रोक कर टैंकर से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। वहीं निस्तारी की समस्या को देखते हुए 24 नवंबर से टंकियों से पानी की सप्लाई शुरू की गई थी, लेकिन यह पानी पीने योग्य नहीं था। शहर में अब तक यही व्यवस्था लागू है।