बलौदा बाजार
जिले में अब तक लैंड बैंक नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 1 दिसंबर। नगर पालिका को मंडी रोड स्थित बेशकीमती जमीन पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स निर्माण शुरू होने की भनक लगते ही कॉम्प्लेक्स निर्माण को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर आश्चर्यजनक रूप से दो दिन में ही शांत हो गए। सोमवार को बिना हंगामे और शोर-शराबे के ही व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स का भूमि पूजन हो गया।
इस संबंध में कलेक्टर सुनील कुमार जैन का कहना है कि नगर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई क्रमवार चलेगी अन्य अवैध, स्थायी कब्जों की शिकायतों को नगरी प्रशासन के संज्ञान में लाकर उन्हें इन पर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि शनिवार को व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए जमीन समतलीकरण करने पहुंचे नगरपालिका कर्मचारियों के वहां काम शुरू करते ही आसपास के लोग जमा होकर कार्य बंद कराने लगे थे और उक्त जमीन पर पार्किंग बनाने की मांग भी कर रहे थे।
इधर शासन के आदेश के बावजूद जिले के नगरी निकाय एवं राजस्व विभाग ने लैंड बैंक नहीं बनाया है। कहां पर कितना शासकीय जमीन है, इसकी वास्तविकता जानकारी भी निकाय के पास मौजूद नहीं है। स्थानीय शासन को पता ही नहीं है कि कितनी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके हैं।
शहर के प्रमुख बाजारों, मुख्य स्थलों, वार्डो में अतिक्रमण हर व्यक्ति के लिए समस्या बन गया है। मगर प्रशासन को इस बात का अभ्यास ही नहीं है कि उसकी कितनी जमीन पर अवैध निर्माण हो चुके हैं। कॉम्प्लेक्स के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई तो पालिका को होश आ रहा है कि बाजार के बीचों-बीच स्थित बेशकीमती जमीन पर बड़ा हिस्सा अवैध कब्जा धारियों की भेंट चढ़ चुका है।
डेढ़ एकड़ की कुल जमीन, पर आधा एकड़ पर अवैध कब्जा
मंडी रोड स्थित पुराने बास्टल की इस बेशकीमती जमीन पर बड़ा हिस्सा पहले ही अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। सीएमओ राजेश्वरी पटेल के अनुसार यहां नगर पालिका की कुल जमीन लगभग डेढ़ एकड़ है जिसमें लगभग आधे एकड़ मीन पर अतिक्रमण का कब्जा है विरोध वही कर रहे थे जिन्हें निर्माण के पूर्व होने वाले सीमांकन के बाद सच्चाई सामने आने का डर था। पार्किंग की मांग करने वाले और फिर साई कांप्लेक्स का विरोध करने वाले को बता दिया गया है कि सीमांकन के बाद अवैध कब्जा भी घटेगा और पार्किंग भी बनेगी।
रिकॉर्ड में दुरुस्त नहीं कर पाई
सन 1984-1998 तथा 2002 में सरकारी जमीनों पर वर्षों से कब्जा लोगों को पट्टा वितरण किया गया। आज 18 साल बीत जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने किसके पास कितनी साइज का वैध पट्टा वह कितने बिना पट्टा की ही कब्जा कर लिए हैं इसका भी सर्वे नहीं कराया।
बताया जाता है कि शासकीय जमीनों पर संजय कॉलोनी, पांडेपारा, इंदिरा कॉलोनी, पंचशील नगर जैसी बड़ी बड़ी कॉलोनिया बस चुकी है इन कॉलोनियों में कब्जे की शुरुआत झोपड़ी बनने से होती हुई थी जो अब दो तीन मंजिल मकानों में तब्दील हो चुकी है। सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है कि महज 3 साल के अंदर ही रामसागर तालाब के किनारे व ईदगाह के बीच की सडक़ के किनारे पर ही 100 से अधिक झुग्गी झोपडिय़ां बन गई हैं और इस जगह ने देखते ही देखते बड़ी कॉलोनी का रूप ले लिया है इस तरह शहर में अवैध कब्जा करने की प्रक्रिया लगातार जारी है।
अतिक्रमण हटाने के बजाय पीएम आवास बनाकर दे दिए
शहर के विशाल पिपराहा तालाब व रामसागर तालाब पिट्टू देवराहा तालाब के किनारे का आधे से अधिक हिस्सा अवैध कब्जों की चपेट में आ चुका है सरोवर, धरोहर अभियान के दौरान ही तत्कालीन सरकार ने तालाबों के किनारे हो रहे अवैध निर्माण के प्रति सख्ती दिखाई थी हाईकोर्ट ने भी तालाबों के किनारे अतिक्रमण को पर्यावरण के लिए अशुभ संकेत बताते हुए इस पर सरकार को कार्रवाई के आदेश दिए थे मगर कारवाही तो दूर इन तालाबों के किनारे बसी झोपड़पट्टियों को अन्य जगह पर बस आने की वजह इन्हीं तालाबों के किनारों पर उन्हें पीएम आवास बनाकर दे दिए हैं।
राजस्व विभाग के अनुसार शहर की 10 एकड़ शासकीय जमीन अवैध कब्जा धारियों के चपेट में आ चुकी है इसमें 3 एकड़ पर सामाजिक संगठन वह 7 एकड़ पर अन्य लोगों ने कब्जा कर लिया है अगर यही रफ्तार रही तो सरकार के पास अपने भवन बनाने के लिए जमीन नहीं बचेगी जमीन के अभाव में स्कूल कॉलेज हॉस्पिटल सहित कन कई प्रोजेक्ट फेल हो जाते हैं।