बलौदा बाजार

6 माह से नहीं मिला मानदेय, महिला स्व-सहायता समूहों पर मंडरा रहा है संकट
03-Dec-2021 5:22 PM
6 माह से नहीं मिला मानदेय, महिला स्व-सहायता समूहों पर मंडरा रहा है संकट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 दिसंबर। 
बीते कई सालों से प्राथमिक तथा मिडिल शालाओं के बच्चों को मध्यान्ह भोजन कराने वाली योजना बीते जून माह से मानदेय न मिलने की वजह से अब बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी है अगस्त माह से स्व सहायता समूहों को किसी प्रकार का भुगतान नहीं मिला है इसी वजह से लगभग सभी समूहों पर हजारों रुपयों का कर्ज हो चुका है जो समूहों के लिए बड़ी समस्या हो गई है।

समूह का संचालन करने वाली महिलाओं ने बताया कि यदि हम उन्हें शीघ्र बकाया भुगतान न किया गया तो महंगाई के चलते समूहों का संचालन करना असंभव हो जाएगा।
विदित हो कि ब्लॉक की 91 मिडिल तथा 165 प्राथमिक शालाओं में बीते कई वर्षों से साले बच्चों को मध्यान्ह भोजन प्रदान करने वाले 252 महिला स्व सहायता समूह के अस्तित्व पर अब संकट मंडरा रहा है जिनकी और विभागीय अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को ध्यान देने की फुर्सत नहीं है जून-जुलाई में बच्चों को सूखा राशन प्रदान करने के बाद अगस्त माह से शालाओं के प्रारंभ होते ही शालाओं में मध्यान्ह भोजन भी प्रारंभ हो गया है परंतु स्व सहायता समूहों को इस वर्ष जून माह से अब तक कुकिंग कास्ट यानी योजना के संचालन करने के बदले दिए दिया जाने वाला शुल्क प्रदान नहीं किया गया है 6 माह से बगैर भुगतान के समूह का संचालन करते करते अब अधिकांश समूहों का दम घुटने लगा है तथा महिलाएं हताश होने लगी हैं।

प्राथमिक शाला पनगांव की गणेश स्व सहायता समूह की सचिव फूलमती बघेल, मोतिम चेलक, लक्ष्मी लोहार ने बताया कि सब्जी से लेकर किराना सामान तक सभी सामानों की व्यापारियों के पास बड़ी उधारी हो गई है अब हमारी भी उधारी देने में आनाकानी करने लगे हैं अन्य महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वर्तमान में अनाज से लेकर सब्जी मसाला सभी काफी महंगे हैं ऐसे समय में छह माह से बगैर भुगतान के समूह का संचालन करना काफी कठिन है अब तक जैसे तैसे समूह का संचालन किया जा चुका है परंतु अब संचालन कठिन हो गया है।

इन्हें इतना शुल्क मिलता है
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यान्ह भोजन योजना के लिए स्व सहायता समूह को चावल तो सरकार की ओर से मुफ्त में प्रदान किया जाता है परंतु दाल, सब्जी, पापड़, अचार, दूध, शक्कर मसाले आदि महिला स्व सहायता समूह को बाजार से खरीदना पड़ता है जिसके एवज में समूहों को प्रति बच्चे प्राथमिक शालाओं में 5.19 रुपए पाए तथा मिडिल शालाओं में 7.45 प्रदान किए जाते हैं इस राशि में रसोईया खर्च ईंधन खर्च भी शामिल हैं स्व सहायता समूहों को निर्धारित मीनू अनुसार भोजन पकाना तथा पर उस ना होता है परंतु बीते 6 माह से बगैर किसी शुल्क के मिले समूह कैसे संचालन हो रहे हैं इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

प्रक्रिया बेहद धीमी है
सूत्रों के अनुसार पहले समूहों को हाय आईसी आईसीआई बैंक से बीएमओ के माध्यम से राशि भुगतान होता था परंतु कुछ दिनों से पूर्व शासन ने सारा बजट वापस मांग ली इसके बाद स्व सहायता समूह का एक्सिस बैंक में खाता खुल रहा है। इससे लिए पब्लिक फेयनेस मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से समूहों का वेंडर खुलवा कर भुगतान किया जाएगा सारी प्रक्रिया बेहद धीमी हो रही है इसके चलते स्वास्थ्य का समूह को भुगतान नहीं मिल रहा है।

अशोक वर्मा बी.ई.ओ. बलौदाबाजार का कहना है कि  शासन के निर्देशानुसार अब पब्लिक फाइनेंस मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से मध्यान भोजन संचालन करने वाली महिला स्व सहायता समूह का वेंडर खुलवा कर भुगतान किया जाएगा। वेंडर कोड खोलने की प्रक्रिया जारी है इसके बाद भुगतान भी हो जाएगा।
 

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