रायपुर

पैथोलॉजी पर राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होंगे 15 सौ से अधिक विशेषज्ञ
05-Dec-2021 5:04 PM
पैथोलॉजी पर राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होंगे 15 सौ से अधिक विशेषज्ञ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 5 दिसंबर। इंडियन एसोसिएशन ऑफ  पैथोलॉजिस्ट एण्ड माइक्रोबायोलॉजिस्ट के उन्नहत्तरवें (69) वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पहली बार रायपुर, छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश  के लिये बड़े गर्व की बात है। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण यह पांच दिवसीय सम्मेलन वर्चुअली आयोजित किया गया है। इस बार सम्मेलन का थीम है  ए मीटिंग ऑफ माइन्ड टू रिवाइस एडवान्ड्स प्रेक्टिस एंड प्रोग्रेस इन पैथोलॉजी।

प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी कि यह अत्यंत हर्ष की बात है कि इस सम्मेलन के लिये 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया है और 600-700 वैज्ञानिक पोस्टर एवं पेपर्स प्रस्तुत किये जा रहे हैं, जो इस अधिवेशन के लिए प्रतिभागियों के उत्साह को दर्शाता है। इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के द्वारा पैथोलॉजी विषय के विभिन्न उपशाखाओं जैसे - हिस्टोपैथोलॉजी, साइटोलॉजी, क्लिनिकल  पैथोलॉजी  एवं मॉलिक्युलर  पैथोलॉजी  पर व्याख्यान दिए जा रहे हैं, जिसका लाभ देश के  पैथोलॉजी  विभाग के फैकल्टी, प्रेक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट के साथ-साथ स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को भी मिलेगा। इस सम्मेलन में स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के लिये पोस्टर एवं पेपर प्रेजेंटेशन प्रतियोगिताओं के भी आयोजन किये जा रहे हैं, जिसमें चयनित छात्र-छात्राएं पुरस्कृत किये जायेंगे।

इस वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन के औपचारिक उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि की आसंदी से छत्तीसगढ़ प्रदेश  की राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिये शुभकामनायें दी।

इस गरिमामय कार्यक्रम में ऑनलाइन सम्मिलित होते हुये उन्होंने कहा कि विकृति विज्ञान ( पैथोलॉजी ) चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें विषय विशेषज्ञ रोग के कारण, रोग द्वारा उत्पन्न संरचनात्मक असमानताओं एवं परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं। रोगों के निदान में पैथोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न प्रायोगिक जांच के द्वारा सटीक रूप से बीमारी का पता लगाकर ही सही उपचार किया जा सकता है और जांच से उपचार के वास्तविक प्रगति को भी देखा जा सकता है। चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न अनुसंधानों में भी पैथोलॉजी का बहुत महत्व है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में संचालक चिकित्सा एवं अधिष्ठाता डॉ. विष्णु दत्त ने इस अधिवेशन के लिये आयोजन समिति को बधाई देते हुए इसके सफलता की कामना व्यक्त की। आयोजन अध्यक्ष डॉ. राजू भाईसारे ने स्वागत उद्बोधन में छत्तीसगढ़  प्रदेश  को पहली बार इस अधिवेशन  के आयोजन की जिम्मेदारी दिये जाने पर खुशी जाहिर की। आयोजन सचिव अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय राजनांदगांव, डॉ. रेणुका गहिने ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर डॉ. अरविन्द नेरल के प्रमुख सम्पादकत्व में बनायी गयी ई-स्मारिका और एब्सट्रेक्ट बुक का ऑनलाइन विमोचन किया गया और उन्होंने उद्घाटन सत्र का मंच-संचालन किया। आई.ए.पी.एम. के छत्तीसगढ़ शाखा के तत्वाधान में सम्पन्न हो रहे इस पाँच दिवसीय अधिवेशन  के आयोजन में चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के पैथालॉजी विभाग ने बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभायी। वैज्ञानिक सत्रों का संयोजन भिलाई के डॉ. एम. रवीन्द्रनाथ और डॉ. गुरमीत सिंह ने किया। सह-सचिव डॉ. जयन्ती चन्द्राकर, कोषाध्यक्ष डॉ. मो.जाफर मेमन, डॉ. अपूर्वा अग्रवाल, डॉ. वर्षा पाण्डेय, डॉ. वनिता भास्कर, डॉ. अनुभव चन्द्राकर और अन्य चिकित्सा शिक्षकों एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने अधिवेशन के विभिन्न समितियों की भूमिका बखूबी निभाई।

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