बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 6 दिसंबर। बालोद जिला के बाघमार गांव में आयोजित कंगला मांझी सरकार के शहादत दिवस में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके शामिल हुईं, जहां राज्यपाल ने कंगला मांझी स्मारक स्थल पर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी देवी देवताओं को नमन किया।
सभा स्थल में पहुंचकर वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, जिन्होंने देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण हिस्सेदार निभाई है। पुरुषों के साथ महिलाएं भी अपने अलग अंदाज में शांतिप्रिय तरीके से स्वतंत्रता को लेकर कार्य किया। कंगला मांझी का मानना था कि देश तभी समृद्ध बनेगा, जब आदिवासी समाज समृद्ध बनेगा।
राष्ट्रहित की दिशा में किया कार्य
राज्यपाल ने कहा कि मांझी सरकार ने राष्ट्र हित की दिशा में मांझी सरकार ने भरसक प्रयास किया। उन्होंने आदिवासी समाज के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद के मंच के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने देश में आदिवासियों की स्थिति को बताते हुए कहा कि पैसों का लालच देकर आदिवासियों को उनके जल जंगल जमीन से बेदखल किया जा रहा है, जिसको लेकर वह लगातार आदिवासियों के हित में उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रही है। सभा स्थल पर राजमाता सहित कंगला मांझी के अनुयायियों ने राज्यपाल के समक्ष मांग रखी, जिसे पूरा करने के लिए हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया।
खाकी वर्दी में दिखे सैनिक
इस सरकार में 57 आदिवासी समुदाय शामिल थे। आदिवासियों को बकायदा खाक़ी या हरी वर्दी दी गई। साथ ही किसी फ़ौज के सैनिक की तरह बिल्ला और स्टार भी। इनमें तालुका स्तर से लेकर जि़ला और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पद भी दिए गए। इन सैनिकों के पास अपना अलग संविधान है, जो असल में कंगला मांझी की कि़ताब ‘भारत भूमिका’ है, पूरे देश सहित विदेश से यहां सैनिक पहुंचते हैं।