सरगुजा
कैट अध्यक्ष ने गन्ना को मुक्त करने सौंपा ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 7 दिसंबर। गन्ना फसल को आरक्षित से मुक्त करने व लघु उद्योग प्रभावित होने के संदर्भ में रविन्द्र तिवारी अध्यक्ष कैट सरगुजा ने गन्ना आयुक्त छत्तीसगढ़ शासन को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में बताया गया कि अविभाजित सरगुजा में गन्ना के फसल को आरक्षित किया गया है, जिसके कारण यहां गुड़ उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। कई कारणों के कारण गन्ना आरक्षित करना उचित नहीं है।
मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित केरता में पेराई सत्र में जितनी आवश्यकता है, उससे बहुत ज्यादा गन्ने का फसल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाने का पेराई लक्ष्य 3.5 मे. टन है जिसमें सिर्फ सुरजपुर जिले में 6968.24 हे. में गन्ना का फसल है जिसकी अनुमानित 60 टन प्रति हे. के हिसाब से 418000.95 मे.टन उपज होता है जो कि कारखाने के पेराई लक्ष्य से ज्यादा है, इसके बाद भी अविभाजित सरगुजा के पूरे गन्ना रकबा को आरक्षित किया गया है। छोटे एवं मझोले किसान जिनका उपज बहुत कम है, उस उपज के दाम से ज्यादा गाड़ी भाड़ा लग जाता है वैसे में किसान शक्कर कारखाना में कैसे गन्ना बेच पायेगा। आपके द्वारा आरक्षित रखबे के अनुसार जिसमें पंजीकृत किसानों के रकबे को लिया गया है जबकि अपंजीकृत गन्ना उत्पादक किसानों के पास भी गन्ना है और आपके द्वारा दिए गये विवरण के अनुसार 9374.874 हे में गन्ने की फसल है जिसका उपज लगभग 7.5 लाख मे टन है जो कि फैक्ट्री के लक्ष्य से बहुत ज्यादा है जिसके कारण किसानों को गन्ना बेचने में दिक्कत आएगी।
केंद्र सरकार एवं राज्यसरकार के द्वारा एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए गुड़ का फैक्टरी स्थापित करने हेतु अनुदान दिया जा रहा है तथा बैंकों से ऋण भी दिया जा रहा है जिसके कारण सरगुजा संभाग में अनेक फैक्ट्री स्थापित हुए हैं, जिन्हें गन्ने की आपूर्ति नहीं होगी तो वे फैक्ट्रीयां बंद हो जाएगी, जिससे बेरोजगारी बढ़ जाएगी एवं बैंकों के ऋण चुकाना संभव नहीं होगा। मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना को स्थापित हुए 13 वर्ष हो गए, लेकिन यह देखा जा रहा है कि गन्ना का रकबा फैक्ट्री के प्रभाव क्षेत्र में कम हुआ है, जबकि गुड़ उद्योग के प्रभाव क्षेत्र में रकबा बढ़ा है, इसका अर्थ यह है कि गुड़ उद्योग ज्यादा प्रभावी है। खाड़सारी उद्योग प्रतिबंधित है, जबकि सरगुजा में एक भी खाड़सारी उद्योग नहीं है, यहां सिर्फ गुड़ उद्योग हैं, जिन्हें गन्ने की आपूर्ति होनी चाहिए।
किसानों के द्वारा कारखाने में गन्ना बेचने पर उनके भुगतान से बड़ी राशि भाड़ा के लिए काट लिया जाता है, जिसके कारण किसान अपने खेतों में उपज गन्ने को गुड़ उद्योग को बेचना चाहते हैं, इसलिये उन्हे रोकना उनके स्वतंत्रता का हनन है। उन्हें कहीं भी गन्ना बेचने की आजादी होनी चाहिए। राज्य सरकार की योजना में गुड़ की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है और गुड़ उद्योग बंद होने से उस योजना में भी प्रभाव पड़ेगा तथा सरगुजा के लोग शक्कर से ज्यादा गुड़ का उपयोग करते हैं वो भी प्रभावित हो जायेंगे।
आयुक्त से मांग की कि उपरोक्त तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए सरगुजा संभाग में गन्ने को किए गए आरक्षित को आरक्षण मुक्त किया जाए जिससे की क्षेत्र में उद्योग धंधे प्रभावित न हो और किसान भी खुश रहें।