राजनांदगांव

रेडी-टू-ईट वितरण का जिम्मा मिले महिला समूह को - पांडेय
09-Dec-2021 5:07 PM
रेडी-टू-ईट वितरण का जिम्मा मिले महिला समूह को - पांडेय

लोस के शून्यकाल में नांदगांव सांसद ने उठाया मुद्दा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 दिसंबर।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा हाल ही में निर्देश जारी एि गए हैं कि आंगनबाड़ी में अध्ययनरत विद्यार्थियों को मिलने वाले पोषण आहार के वितरण का जिम्मा महिला स्वसहायता समूह से हटाकर कृषि विकास एवं किसान कल्याण जैव प्रौद्योगिकी विभाग को दिया जाएगा। आदेश के बाद से प्रदेश की महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। इसी विषय को लेकर बुधवार को राजनांदगांव लोकसभा के सांसद संतोष पांडेय ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया।

सांसद श्री पांडेय ने सदन में कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा महिला स्व-सहायता समूह की बहनों से रेडी-टू-ईट पोषण आहार वितरण का कार्य छीनकर उन्हें बेरोजगार करने का कार्य कर रही है। साल 2009 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने पोषण आहार तैयार करने का जिम्मा महिला समूहों को दिया था, ताकि उन्हें रोजगार प्राप्त हो सके और हजारों महिलाओं को रोजगार प्राप्त भी हुआ व ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी आर्थिक व सामाजिक रूप से बदलने भी लगी। आंगनबाड़ी में अध्ययनरत बच्चों को रेडी टू ईट पोषण आहार वितरण को महिला समूहों से छीनकर ठेकेदारों के माध्यम से वितरित करने की आड़ में राशि बंदरबांट की तैयारी कर ली है।

सांसद श्री पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने आदेश द्वारा फरमान जारी किया है कि रेडी टू इट में कार्यरत स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह के स्थान पर अब कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से होगा, परन्तु कृषि विकास एवं किसान कल्याण जैव प्रौद्योगिकी की विभाग का इतना बड़ा अमला नहीं है कि वह छत्तीसगढ़ प्रदेश में प्रतिदिन बच्चों को रेडी टू ईट तैयार कर वितरित कर सके। यह सीधा-सीधा 14वें एवं 15वें वित्त द्वारा केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का अपने निजी लाभ व चहेतों को लाभ पहुंचाने एवं धनराशि का बंदरबांट करने के ध्येय से किया गया है।

संतोष पांडेय ने कहा कि प्रदेश में सक्रिय हजारों महिला समूह की लाखों बहनें बेरोजगार हो जाएंगे, उनके द्वारा क्रय किए गए मशीनें अनुपयोगी हो जाएंगे। इस आदेश के पीछे राज्य सरकार का तर्क है कि भोजन की गुणवत्ता में सुधार होगा। जबकि खाद्य विभाग और औषधि विभाग द्वारा गत दो वर्ष में महिला समूहों द्वारा निर्मित भोजन के सैम्पल लिए गए, उनमें किसी की भी गुणवत्ता में खराबी नहीं पाई गयी। राजनांदगांव जिले में लगभग 80 समूह व कबीरधाम जिले में  लगभग 50 समूह के माध्यम से महिलाएं कार्य कर रही हंै।  

इन समूहों में महिलाओं की संख्या 1500 से 2000 के आसपास होगी। ये महिलाएं सालभर में करीब 10 करोड़ के रेडी टू इट भोजन तैयार करती है। जिसके एवज में एक समूह को 7000 से 8000 तक की आमदनी हो जाती है। योजना के संचालन का तरीका बदले जाने से इन महिलाओं व इनके परिवार को आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी महिलाओं के सशक्तिकरण, रोजगार व अधिकार के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं, योजनाओं की घोषणा कर रही हंै, लेकिन उन्हीं के पार्टी के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री लाखों महिलाओं से उनका रोजगार छिनने का कार्य रहे हैं। यह कैसा दोहरा चरित्र हैं कांग्रेस सरकार का।

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