राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 दिसंबर। दुनिया में ऐसे कई दिव्यांग हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाया है। इन्होंने कभी हौसला नहीं खोया और सफलता के मुकाम पर पहुंचकर औरों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। दिव्यांगता को कभी जीवन में बाधक बनने नहीं दिया और संघर्ष कर अपनी तकदीर को बदला है। राजनांदगांव जिले के छुईखदान विकासखंड की मुंडाटोला ग्राम पंचायत की दिव्यांग महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) मेट ठगन मरकाम हौसले की बानगी हैं। परिवार में माता-पिता के गुजरने के बाद गांव के बड़े-बुर्जुगों को ही अपना अभिभावक मानकर मनरेगा के जरिये गांव के लिए कुछ कर गुजरने का हौसला रखने वाली वह आज सबकी विशेषकर महिलाओं की आदर्श बन गई है।
35 वर्षीया सुश्री ठगन एक पैर से दिव्यांग है और जनवरी 2021 से गांव में महिला मेट की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं। मेट बनने के बाद उन्होंने गांव में नया तालाब निर्माण, विनय धुर्वे के खेत में भूमि सुधार कार्य एवं श्यामलाल के खेत में कूप निर्माण का कार्य करवाया है। उनकी सक्रियता से योजनांतर्गत खुले कामों में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढक़र 50 प्रतिशत पर पहुंच गई है। महात्मा गांधी नरेगा में वर्ष 2019-20 में जहां महिलाओं द्वारा सृजित मानव दिवस रोजगार का प्रतिशत 42.36 था, वह वर्ष 2020-21 में बढक़र 50.86 प्रतिशत हो गया।