राजनांदगांव
सर्वाधिक नुकसान चने को, अरहर और अन्य उपज पर भी प्रतिकूल असर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 दिसंबर। पिछले तीन दिनों से हुई बेमौसम बारिश से रबी की फसलें लगभग चौपट हो गई है। पहले से ही रबी की फसलों पर कड़ाके की सर्दी के कारण सडऩे का खतरा मंडरा रहा था। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में लगभग 5 दिन तक चली सर्दीली हवाओं से रबी की फसलें खराब होने की दिशा में थी। अब बेमौसम बारिश ने फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। राजनांदगांव जिले में करीब पौने दो लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की बुआई हुई है। सर्वाधिक चने की फसलों को किसानों ने बोया है। जिले में 48 हजार हेक्टेयर में चना बोया गया है।
कृषि अफसर मान रहे हैं कि तीन दिन की बारिश से किसानों की मेहनत पानी में चली गई है। दलहन-तिलहन की फसलें खराब होने से किसानों को खरीफ की तुलना में ज्यादा घाटा उठाना पड़ेगा। धान के मुकाबले रबी के बीज महंगे होते हैं। रबी के मौसम में खेती को किसान दूसरा फसल मानते हैं। खरीफ में हुए नुकसान के लिए किसानों को रबी की फसलों से मुनाफा होने की उम्मीद रहती है, लेकिन बेमौसम बारिश ने किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। इस घाटे से उबरने को लेकर किसानों को अपनी चिंता सता रही है।
एक जानकारी के मुताबिक 2021-22 में एक लाख 76 हजार 430 हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें चना 48 हजार हेक्टेयर में बोया गया है। शेष में मटर, मसूर, मूंग, उड़द की उपज है। तेज बारिश के कारण खेतों में पानी का जमाव होना रबी की फसल के लिए खासा नुकसानदेही है। पानी में डूबे रहने से बीज और पौधे दोनों तेजी से सड़ जाएंगे। ऐसे में दलहन-तिलहन की खेती का चौपट होना तय है।
इस संबंध में जिला कृषि उप संचालक जीएस धु्रवे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि बारिश के कारण फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा है। किसानों को फसल बचाने के उपाय और सुरक्षा की जानकारी दी जा रही है। इस बीच विभाग ने खेती से हुए नुकसान को लेकर सर्वे भी शुरू किया है। किसानों को मैदानी अमले की ओर से नुकसान के संबंध में प्रकरण के लिए अर्जी देने के भी निर्देश दिए जा रहे हैं। मैदानी अमला लगातार नुकसान उठाने वाले किसानों के संपर्क में है।