धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 30 दिसंबर। कुरुद में आयोजित ज्ञान यज्ञ में छठवें दिन योग शक्ति गीता दीदी ने कालचक्र का रहस्य बताते हुए कहा की सृष्टि चक्र 5000 वर्ष का है जो चार युगों में बंटा है, सतयुग में कृष्ण राधा का स्वयंवर के पश्चात लक्ष्मी नारायण राज्य संभालते हैं, त्रेतायुग में माता सीता और श्रीराम का राज्य होता है।
सतयुग त्रेता युग को स्वर्ग कहा जाता है क्योंकि वहां संतो प्रधान सृष्टि होती है। एक धर्म एक राज्य एक भाषा एकमत होते हैं और सृष्टि के इस प्रकार आधा समय बीतने के बाद द्वापर युग आता है, जहां से विभिन्न धर्मपिता इस धरा पर आते हैं।
स्व. पृथ्वी लाल देवांगन के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर आयोजित ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन गीता दीदी ने भारत के उत्थान और पतन के 84 जन्मों की कहानी बताते हुए कहा की स्वर्णिम युग 1250 वर्ष चला फिर आया त्रेतायुग इसको चंद्रवंशी कहा जाता है। श्री रामचंद,्र माता सीता का राज्य चलता है जिसे रामराज्य कहा गया। यहां पर भी सभी लोग देवी देवताओं के समान थे लेकिन आत्मा के जन्म मरण के चलते 16 कला से 14 कला में आ गए थे और इस प्रकार आत्मा धीरे-धीरे गिरती कला की ओर आती गई। अगला युग द्वापर युग आया और देवी-देवता अपने आत्मिक स्वरूप से दैहिक स्वरूप में आ गए, और अपने देवी शक्ति को भूलते चले गए, स्वयं ही अपनी मूर्ति बनाकर पूज्य से पुजारी बन अपनी पूजा प्रारंभ किया इस प्रकार द्वापर युग में मूर्ति बनाकर पूजा शुरू हुआ।
सबसे पहले एक निराकार परमपिता परमात्मा शिव की पूजा शुरू हुई, लेकिन धीरे-धीरे पूजा में भी व्यभिचारी बढ़ती गई और पुन: संसार पतन की ओर चलता गया। अगला युग कलयुग आया जहां पर हम सभी देख रहे हैं कि किस प्रकार धर्म सत्ता, राज्य सत्ता अनेक हो गए हैं और हम सभी एक दूसरे से लड़ रहे हैं ऐसे समय पर परम शक्ति परमात्मा इस संसार पर प्रजापिता ब्रह्मा के ललाट पर अवतरित होकर पुन: स्वर्णिम युग आने की बात कह कर आत्मा रूपी बच्चों को समझ दे रहे हैं।
कार्यक्रम में बतौर अतिथि पत्रकार धनसिंह सेन, जमाल रिजवी, गणेश साहू, गोखलेश सिन्हा, मूलचंद सिन्हा, घनश्याम साहू, गौकरण साहू, सुशील साहू, सूर्यभान प्रताप चंद्राकर, व्यापारी संघ के योगेंद्र सिन्हा विजय केला, प्रदीप सिन्हा, प्रकाश धीवर, राकेश जैन, ऋषि सोनी, हरीश देवांगन, बीके देवराज आदि उपस्थित थे।