राजनांदगांव

कोरोना मोर्चे पर डटकर मुकाबले की तैयारी में सामाजिक संगठन
09-Jan-2022 12:58 PM
कोरोना मोर्चे पर डटकर मुकाबले की तैयारी में सामाजिक संगठन

पहली-दूसरी लहर में भी जरूरतमंदों  की खानपान और दवाईयों से की मदद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 जनवरी।
कोरोना की तीसरी लहर बेकाबू होती दिख रही है। खराब होते हालात के बीच  शहर के सामाजिक संगठनों ने एक बार फिर पहले और दूसरी के बाद तीसरी लहर में भी अपनी जिम्मेदारियां निभाने की तैयारी में है। राजनांदगांव शहर के सामाजिक संगठनों ने कोरोना के मोर्चे पर दमखम के साथ लंबी लड़ाई में पूरा जोर लगाया है।

पहले से ज्यादा दूसरे दौर के कोरोना के लहर के घातक होने दौरान सामाजिक संगठनों ने हर जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाया है। संगठनों के सामने खड़े होने से खानपान, दवाईयां, अस्पताल में भर्ती होने से लेकर अन्य बुनियादी जरूरतों की कमी का लोगों को अहसास नहीं हुआ। अब चूंकि तीसरी लहर ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। ऐसे में सामाजिक संगठनों ने भी मजबूत इरादे लेकर कोरोना को मात देने के लिए कमर कस ली है। ‘छत्तीसगढ़’  ने कुछ समाजसेवी और संगठनों के प्रमुखों से बातचीत की।


आईबी गु्रप मदद के लिए हमेशा रहा तत्पर - अल्वी
आईबी गु्रप के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर अंजुम अल्वी ने कहा कि सामाजिक सरोकार के दायित्व को दृष्टिगत रखकर हर जरूरतमंदों के लिए गु्रप हमेशा खड़ा रहा है। पिछले लहर में संस्थान के द्वारा संचालित अजीज पब्लिक स्कूल को हास्पिटल में बदल दिया गया था। अस्थाई अस्पताल में दाखिल हुए कोविड मरीजों की सेहत को दुरूस्त करने के लिए संस्थान में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई थी। आगे भी हर चुनौती से निपटने के लिए संस्थान का पूरा सहयोग रहेगा।


साझा लड़ाई से कोरोना को देंगे मात - एकता
अभिलेख फाउंडेशन की प्रमुख एकता अग्रहरि तीसरी लहर में कोरोना को मात देने के लिए साझा लड़ाई लडऩे का इरादा लेकर फिर से दीन-दुखियों और कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए सक्रिय हो गई है। वह अपने टीम के साथ कोरोना से बिगड़ते हालात से निपटने के लिए दमखम लगाने की तैयारी में है। उनका कहना है कि इस लड़ाई को सामुहिक रूप से ही जीता जा सकता है। अभिलेख फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्र में हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहा है।


लडेंगे तभी जीतेंगे-भावेश
शांति विजय समिति के अध्यक्ष भावेश बैद  ने दूसरे लहर के दौरान उदयाचल जैसे सामाजिक संस्थान के साझा सहयोग से भवन को ही अस्पताल में बदलने की हिम्मत दिखाई थी। उनके इस पहल से कई लोगों की जान बच गई। उनके इस कोशिश को युवाओं के लिए प्रेरणा का रूप माना गया है। भावेश बैद मानते हैं कि यह  लड़ाई लडेंगे तभी जीतना संभव है। इस अदृश्य दुश्मन की ताकत को सभी एकजुट होकर ही कमजोर कर पाएंगे। उनका कहना है कि तीसरी लहर में भी समिति ने मदद के लिए एक रणनीति बना ली है।


लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता- मारू
बर्फानी धाम सेवा समिति के अध्यक्ष राजेश मारू तीसरी लहर के उग्र रूप को देखकर लोगों की जान बचाने के लिए अपनी टीम के साथ फिर से तैयारी कर रहे हैं। पिछली लहर में उन्होंने जनजाति क्षेत्रों और दुरूस्थ इलाकों में बसे लोगों तक खानपान और दवाईयों की खेप पहुंचाई थी। उन्होंने राजनांदगांव जिले के औंधी से लेकर बकरकट्टा के अंदरूनी बसाहटों में जाकर प्रत्यक्ष रूप से लोगों को सब्जियां, चावल, दाल से लेकर दवाईयां और कपड़ा भी उपलब्ध कराए थे। उनके इस सकारात्मक पहल ने धार्मिक स्थलों के समितियों को एक संदेश मिला था। मारू अब फिर से कोरोना के बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर सेवाभाव लेकर तैयारी कर रहे हैं।


घबराहट से बिगड़ सकता है काम - सिमनकर
बर्फानी सेवा समिति के ही कमलेश सिमनकर भी कोरोना वारियर्स के रूप में जाने जाते हैं। उनका कहना है कि घबराहट से काम बिगड़ सकता है। कोरोना वायरस से बचाव संयम और सजगता है। सिमनकर ने भी वनांचल के भीतरी गांवों में पहुंचकर गरीब और जरूरतमंदों को बुनियादी सुविधाएं दी थी, जिसमें भोजन की थैलियां और दवाईयां महत्वपूर्ण थी।

 

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