सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 15 जनवरी। छत्तीसगढ़ प्रबंधक संघ ने मुख्यमंत्री एवं वनमंत्री के आश्वासन पर वनोपज खरीद के बहिष्कार का निर्णय वापस ले लिया है। छत्तीसगढ़ लघु वनोपजो के संग्रहण में पूरे देश मे नंबर एक है। कोई भी राज्य हमारे आस-पाए भी नहीं है। जिसका सबसे बड़ा कारण लघ ुवनोपज संघ के 901 प्रबंधक हैं। लघुवनोपजो के संग्रहण में प्रदेश सरकार को वर्ष 2020-21 में कुल 13 राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले। फिर भी सरकार एवं अधिकारियों द्वारा विगत 34 वर्षो से प्रबंधको का सिर्फ शोषण ही किया जा रहा है और छला जा रहा है। जिसका साफ उदाहरण ये है कि जन घोषणा पत्र में प्रबंधको के नियमितीकरण का वादा किया वो अब तक सिर्फ चुनावी जुमला ही निकला, प्रबंधकों के वेतन में 6 वर्षो से एक भी रुपये की वृद्धि नहीं, 5 वर्ष पहले सेवा नियम बनाया गया, पर आज तक लागू नहीं, वेतन बढ़ाने राज्य संचालक मंडल ने प्रस्ताव बनाया उसे तक लागू नहीं किया गया।
इसके चलते प्रदेश के समस्त प्रबंधकों ने 1 जनवरी 2022 से लघु वनोपजो के संग्रहण के बहिष्कार का निर्णय किया था। प्रबंधकों द्वारा सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत पूर्व में 52 लघु वनोपजों का स्वसहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण किया जा रहा था। इस वर्ष सरकार ने और तीन वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। जिसमे कोदो 3000, कुटकी 3000 एवं रागी 3377 रुपये प्रति क्विंटल दर निर्धारित किया गया है। इन तीनों वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना में शामिल करने से कृषकों एवं संग्राहकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। किंतु प्रबंधकों द्वारा वनोपज खरीदी के बहिष्कार से निश्चित तौर पर खऱीदी पर सीधे असर देखा गया। साथ ही विगत 14 दिनों में किसी भी समिति द्वारा एक किलो भी वनोपज का संग्रहण नहीं किया गया।
6 वर्षो से वेतन में नहीं हुई वृद्धि
प्रबंधको के साथ राज्य सरकार के दोहरे मापदंड और शोषण की हद इतनी बढ़ गई है कि विगत 6 वर्षों से प्रबंधकों का एक भी रुपये वेतन में वृद्धि नहीं की गई है। आज देश में महंगाई जहां चरम सीमा पार कर चुकी है, वहीं प्रबंधकों के साथ इस तरह व्यवहार निंदनीय है।
दिलाए थे 13 नेशनल अवार्ड
प्रबंधकों के ही कड़ी महेनत का नतीजा था, जिसके कारण वर्ष 2020-21 में न्यून्तम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत वनोपजों के संग्रहण एवं विपडन हेतु राज्य शासन को 13 राष्ट्रीय अवार्ड मिले थे।