रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जनवरी। शिक्षा विभाग में 366 करोड़ के कथित लेन देन की फर्जी डायरी बनाने के मामले में गिरफ्तारी के बाद पूर्व डीईओ जीआर चंद्राकर की अन्य करतुतें खुलने लगीं है।
जीआर चंद्राकर पर रिटायरमेंट से पहले लगभग 73 लाख रुपए डकारने का सामने आया है। इस संबंध में पिछले साल शिक्षा संचालक से शिकायत भी हो चुकी थी। इसके मुताबिक चंद्राकर पर आरटीई योजना में 8 निजी स्कूलों के गरीब बच्चों की राशि अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया था। यह राशि करीब 73 लाख रुपये की बताई गई है। इसमें सबसे अहम तथ्य यह है कि ये सभी आठ स्कूल सालों पहले बंद हो चुके थे। इतना ही नहीं ऐसे स्कूलों को भी राशि का भुगतान हुआ जहां कोई भी बच्चा आरटीई के तहत नहीं पढ़ता था।कुछ स्कूलों को रुपए देने की बजाए स्कूल के संचालक मंडल से जुड़े लोगों के खातों में ट्रांसफर की गई।
क्या है राइट टू एजुकेशन
राज्य सरकार इस योजना के तहत गरीब बच्चों को बड़े स्कूलों में दाखिला दिलवाती है। उनका खर्च वहन करती है। इन बच्चों से जुड़ी फीस और अन्य शुल्क के पैसे स्कूलों को सरकार की तरफ से दिए जाते हैं। इस फंड में से करीब 73 लाख रुपए निकाले गए।
34 लाख वापस भी किया
चंद्राकर ने राइट टू एजुकेशन की आड़ में अपने रिश्तेदारों को भी फायदा पहुंचाया। हालांकि बाद में 73 लाख में से करीब 34 लाख रुपए वापस भी किया।
डायरी मामले की हो एसआईटी जांच, विधायक पहले लगा चुके हैं गंभीर आरोप-भाजपा
इधर लेन देन वाली कथित डायरी मामले में भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई और जब यह मामला फंसता नजर आ रहे है तो पुलिस कार्यवाही का सहारा लेकर केवल मात्र भ्रम फैलाने का काम कर रही हैं। इस पूरे मामले में कार्यवाही के नाम पर केवल मात्र दिखावा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किस मुंह से माफीनामा की बात कह रही है। इस पूरे मामले में कांग्रेस सरकार के इशारे पर जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनमें से एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। तो फिर कहीं न कहीं इस पूरे मामले की जड़े गहरी है और प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश के शिक्षा मंत्री को बचाने में लगे हुए है जिन पर पूर्व में भी उनके दल के ही विधायकों ने ही आरोप लगाया था। और जिस तरह से शिक्षा मंत्री के बंगले से कई कर्मचारियों को लगातार बदला जाना इस बात को इंगित करता है कि विभाग में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसलिए इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए एसआईटी गठन कर करना चाहिए।