गरियाबंद

छेरछेरा पर्व सामाजिक समरसता का त्यौहार है-रूपसिंग
16-Jan-2022 6:13 PM
छेरछेरा पर्व सामाजिक समरसता का त्यौहार है-रूपसिंग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 जनवरी।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश साहू संघ युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग के अध्यक्ष रूपसिंग साहू ने लोक पर्व छेरछेरा त्यौहार की जिले एवं प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए प्रदेशवासियों की खुशहाली और  सुख-समृद्धि की कामना की है।

उन्होंने कहा कि नई फसल के घर आने की खुशी में महादान और फसल उत्सव के रूप में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हमारी सामाजिक समरसता समृद्धि दानशीलता की गौरवशाली परंपरा का संवाहक है। इस दिन छेरछेरा कोठी के धन ला हेर हेरा बोलते हुए गांव के बच्चे युवा और महिला संगठन खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इक_ा करते हैं और इक_ा किए गए धान और राशि रामकोठी में रखते हैं।

श्री साहू ने कहा कि किसानों द्वारा उत्पादित फसल केवल उसके लिए नहीं अपितु समाज के अभावग्रस्त और जरूरतमंद लोगों कामगारों और पशु पक्षियों के लिए भी काम आती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। आज ही मां शाकंभरी जयंती है, इसीलिए लोग धान के साथ साग भाजी फल का दान भी करते हैं।

मान्यता है कि रतनपुर के राजा श्यामा के प्रवास के बाद रतनपुर लौटे थे, उनकी आवभगत में प्रजा को दान दिया गया था। छेरछेरा के समय धान मिसाई का काम आखिरी चरण में होता है, इस दिन छोटे बड़े सभी लोग घरों खलिहानो में जाकर धान और धन इक_ा करते हैं। इस प्रकार एकत्रित धान और धन को गांव के विकास कार्यक्रमों में लगाने की परंपरा रही है। छेरछेरा का दूसरा पहलू आध्यात्मिक भी है यह बड़े छोटे के भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त करता है।
 

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