सरगुजा

संक्रमण के खतरे के कारण नहीं हुआ तातापानी महोत्सव
16-Jan-2022 8:16 PM
संक्रमण के खतरे के कारण नहीं हुआ तातापानी महोत्सव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज,16 जनवरी।
मकर सक्रांति पर्व पर गर्म जल स्रोत स्थान ग्राम तातापानी में लगने वाले मकर सक्रांति मेला एवं महोत्सव में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता था। यहां छत्तीसगढ़ के दूरदराज स्थानों के साथ साथ-साथ दूसरे प्रदेशों के भी लोग बड़ी संख्या में आते हैं,परंतु कोरोना के संक्रमण के खतरे के कारण इस बार मेला एवं महोत्सव नहीं हुआ।

गौरतलब है कि तातापानी में मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर जहां दशकों से मेला का आयोजन होता रहा है, वहीं जिला गठन के बाद तातापानी मेला को तातापानी मेला समिति एवं जिला प्रशासन के सहयोग से मेला को और भव्य स्वरूप एवं तातापानी महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है, जिसकी भव्यता देखते बनती थी। जिला प्रशासन के द्वारा तातापानी मेला एवं महोत्सव को लगातार और बेहतर स्वरूप देने का कार्य किया जाता रहा, परंतु कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए तातापानी मेला एवं महोत्सव इस बार स्थगित कर दिया गया। 13 जनवरी से मेला एवं महोत्सव प्रारंभ होकर 16 जनवरी तक रखा था, परंतु इस बार स्थगित रहा।

स्थानीय लोगों का करोड़ों का माल फंसा
तातापानी मेला में दुकान लगाने के लिए जिले के बड़ी संख्या में छोटे दुकानदार 2 माह पूर्व से तैयारियां प्रारंभ कर देते हैं, वे बड़े शहरों से बेचने के लिए सामान लाते हैं। इस बार भी कई ऐसे दुकानदार जो सामान बेचने के लिए ले लाए थे, परंतु सब का माल फंस गया। दुकानदारों का करोड़ों रुपए का माल तातापानी मेला नहीं होने से फंस गया है, जिससे सभी मायूस एवं निराश हंै।

कलेक्टर की पहल पर मेला एवं महोत्सव को दिया जा रहा था भव्य स्वरूप
कलेक्टर कुंदन कुमार तातापानी मेला एवं महोत्सव को लेकर तातापानी मेला समिति के सहयोग से भव्य स्वरूप देने के लिए कार्य कर रहे थे, वहीं तातापानी गर्म जल स्रोत का स्वरूप भी उनके प्रयासों से 15 दिन के अंदर बदल गया था, परंतु इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मेला एवं महोत्सव स्थगित करना पड़ा। जिस प्रकार से आयोजन को लेकर युवा कलेक्टर ने आगाज किया था इससे संभावना जताई जा रही थी कि इस बार मेला एवं महोत्सव का स्वरूप बहुत भव्य होगा।

मंदिर के नहीं खुले पट
मकर संक्रांति पर्व पर तातापानी तपेश्वर धाम में श्रद्धालुओं का जनसैलाब पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ता था, परंतु कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिर के पट नहीं खोले गए, जिससे श्रद्धालुओं में मायूसी देखी गई।

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