दुर्ग

प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विवि में मनाई ब्रम्ह बाबा की पुण्यतिथि
18-Jan-2022 2:35 PM
प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विवि में मनाई ब्रम्ह बाबा की पुण्यतिथि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 18 जनवरी।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बघेरा स्थित आनंद सरोवर में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की पुण्यतिथि मनाई गई। अविभाजित भारत के कराची सिंध में जन्में हीरे जवाहरात के व्यापारी दादा लेखराज जिनके साकार शरीर का आधार ले निराकार परमपिता परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा नाम देकर सभी मनुष्य आत्माओं को यह ज्ञान दिया कि आप सभी चैतन्य में आत्मायें हैं व सर्व मनुष्य आत्माओं का पिता निराकार शिव परमात्मा ही है, जैसे परमात्मा ऊँचे ते ऊँचे स्थान का रहने वाला है, ऐसे ही आप सभी मनुष्य आत्माएं भी उसी निराकार दुनिया से इस सृष्टि रंगमंच पर अपना अपना पार्ट बजाने आए हो सभी मनुष्य आत्माएं अपने यथार्थ वास्तविक स्वरुप को भूल स्वयं को दैहिक जाति धर्म के बंधन में बांधकर अपने वास्तविक गुण व धर्म को भूलने के कारण दुखी व अशांत हो गए हो  अब पुन: अपनी वास्तविक स्वरुप में स्थित हो परमात्मा से सुख शांति का अधिकार ले लो क्योंकि निराकार परमपिता परमात्मा आप बच्चों के लिए सुख-शांतिमयी नई दुनिया का सौगात लेकर आया है।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय दुर्ग की संचालिका ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के जीवन चरित्रों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दादा लेखराज में बाल्यकाल से ही दया, प्रेम, करुणा के संस्कार थे, अपनी कुशाग्र बुद्धि के द्वारा गांव के साधारण स्थान से हीरे जवाहरात के नामचीन व्यापारी बनें इनकी सादगी व दिव्य गुणों की चर्चा इनके संपर्क में आने वाले भी करते थे।

अपने कार्य व्यवहार के साथ गुरु भक्ति भाव में मगन रहने वाले दादा लेखराज को निराकार परमपिता परमात्मा शिव द्वारा पुरानी कलियुगी दुनिया का विनाश व नई दुनिया सतयुग के स्थापना का साक्षात्कार जब हुआ व परमपिता परमात्मा शिव ने नई सुख-शांतिमय सतयुगी सृष्टि के निर्माण में तन मन धन से सहयोगी बनने का आदेश दिया तो अपनी सारी संपत्ति 4 बहनों के नाम से ट्रस्ट बनाकर संपूर्ण संपत्ति नई सृष्टि के स्थापना के कार्य में लगा दिया व जीवन के अंत तक कितनी भी प्रकार की परिस्थिति या आई चाहे सामाजिक रूप से चाहे आर्थिक रुप से किंतु परमात्मा पर एक बल एक भरोसा से सभी परिस्थितियों को पार किया जिसका परिणाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जो 1937 में एक छोटे से घर से प्रारंभ हुआ आज विश्व के पाँचों महाद्वीप के 137 से अधिक देशों में विशाल वट वृक्ष का रुप धारण कर सभी मनुष्य आत्माओं के जीवन में दिव्य गुणों की खुशबु फैला रही है।
 

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