महासमुन्द
किसान जहां चाहे वहां बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 18 जनवरी। कोरोना की तीसरी लहर के बावजूद बैंक प्रबंधन ने न तो किसानों के लिए रुपए निकालने की समुचित व्यवस्था की है और न ही परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ही करा पा रहा है। किसानों के लिए परिसर में न तो कुर्सी लगाई गई है और धूप व बारिश से बचने के लिए न ही शेड का निर्माण किया है। इस तरह जिला सहकारी बैंक में किसानों के बैठने के लिए प्रबंधन ने किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की है। किसान परिसर में जहां चाहे वहां खुले आसमान के नीचे बैठ जाते हैं। इससे बैंक आने वाले अन्य लोगों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बैंक में किसानों की सर्वाधिक भीड़ धान बिक्री बाद खाते में जमा रकम को निकालने के लिए होती है। ऋण वितरण के दौरान भी बैंक में किसानों की हुजूम उमड़ पड़ता है। पहले आओ और पहले पाओ की तर्ज पर किसान बैंक खुलने से पहले परिसर में उपस्थित हो जाते हैं और काउंटर खुलते ही कतार लग जाती है। स्थिति यह रहती है कि बैंक पहुंचे कई किसानों को भीड़ और बैठने की सुविधा नहीं होने से बैरंग लौटना पड़ता है या फिर किसी परिचित के घर जाकर प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
जिला मुख्यालय स्थित जिला सहकारी बैंक में कर्मियों के वाहन खड़ा करने के लिए शेड है लेकिन यहां लेन देन और बैंक संबंधी कार्य के लिए आने वाले किसानों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि किसानों को बैंक परिसर में पेड़ की छांव या फिर चबूतरे में बैठना पड़ता है। हालांकि बैंक प्रबंधन ने किसानों के बैठने के लिए अंदर जरूर कुर्सियां लगा रखी हैं जिसकी संख्या गिनती भर की है और कोविड के चलते बैंक के अंदर भीड़ पर पाबंदी लगा दी गई है।
इसके चलते किसानों को बैंक के बाहर ही बैठकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करना पड़ रही है। शेड नहीं होने से बैंक आए किसानों को सर्वाधिक परेशानी बरसात और गर्मी के दिनों में होती है क्योंकि उनके पास बैंक परिसर के बाहर बैठकर प्रतीक्षा करने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता है। मालूम हो कि शहर के अन्य बैंकों की अपेक्षा सर्वाधिक भीड़ जिला सहकारी बैंक में ही रहती है।
इस संबंध मेें बैंक प्रबंधक बृजलाल राणा का कहना है कि किसानों के बैठने के लिए बैंक परिसर में पर्याप्त इंतजाम नहीं है। किसान या तो चबूतरे या फिर पेड़ की छांव में बैठते हैं। इस समस्या को कल आयोजित बैंक की बैठक में रखने के साथ ही उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा और उनके बैठने के लिए कुर्सियों की मांग की जाएगी।
मालूम हो कि मुख्यालय स्थित जिला सहकारी बैंक जिले के कुल 11 समितियों की मुख्य शाखा है, जहां बड़ी तादात में किसान रकम जमा करने और निकालने पहुंचते हैं। ऋण वितरण और धान खरीदी व बोनस की राशि खाते में आने पर भी किसानों की भीड़ लगती है। इसके अलावा बैंक शाखा परिसर में ही धान खरीदी के नोडल अधिकारी का कार्यालय भी संचालित है।