रायपुर

रमन सरकार की तैनाती, मेहरबानी जारी, 62 साल पार फिर भी माशिमं सचिव बने हुए हैं गोयल
18-Jan-2022 6:00 PM
रमन सरकार की तैनाती, मेहरबानी जारी, 62 साल पार फिर भी माशिमं सचिव बने हुए हैं गोयल

प्रशासकीय पद पर नहीं रह सकते 62 पार कॉलेज शिक्षक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर,  18 जनवरी। प्रदेश के कॉलेज शिक्षक 62 साल की उम्र के बाद प्रशासकीय पद धारण नहीं कर सकते हैं। उनका संलग्नीकरण स्वयमेव खत्म हो जाता है, लेकिन  माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव डॉ. वीके गोयल के केस में ऐसा नहीं हुआ है। डॉ. गोयल नवंबर को 62 साल की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन वो अभी भी पद पर बने हुए हैं, और उनकी सेवाएं उच्च शिक्षा विभाग को नहीं लौटाई गई है।

प्रो. गोयल ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में सिर्फ इतना ही कहा कि वो सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।  सरकार ने कॉलेज शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष  करने के साथ ही आदेश में यह साफ किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु में की गई वृद्धि केवल क्लासरूम शिक्षण में लगे हुए शिक्षकों के लिए लागू होगी। यह वृद्धि शिक्षकों के समक्ष संवर्ग के लिए लागू नहीं होगी। यह आदेश 28 अपै्रल 2012 को जारी हुआ था।   बताया गया कि आदेश के परिपालन में जो भी शिक्षण कार्य से अलग प्रशासकीय पदों पर थे। उनका संलग्नीकरण स्वयमेव खत्म हुआ है। मगर कॉलेज के प्रोफेसर वीके गोयल अपवाद हैं।

प्रो. गोयल की पदस्थापना रमन सरकार ने माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव के पद पर की थी। मंडल में हर महीने करोड़ों के  मुद्रण का काम भी होता है। लिहाजा, इस पद को काफी मलाईदार माना जाता है। प्रो. गोयल पिछले 10 साल से माशिमं सचिव के पद पर हैं। डॉ. गोयल नवंबर में 62 साल की आयु सीमा पार कर चुके हैं। लेकिन उनका संलग्नीकरण खत्म नहीं किया गया है, और उन्हें मूल विभाग के रिलीव नहीं किया गया है। इससे परे डीएन वर्मा उच्च शिक्षा विभाग में ओएसडी के पद पर थे। 62 वर्ष की आयु पूरा होते ही मंत्रालय से होते उन्हें हटाकर साइंस कॉलेज में पोस्टिंग हो गई।

इसी तरह उच्च शिक्षा संचालनालय में पदस्थ संयुक्त संचालक श्रीमती डॉ. विनोद शर्मा को धरसींवा कॉलेज भेज दिया गया। यही नहीं, एडिशनल डायरेक्टर केएन बापट को भी शैक्षणिक कार्यों के लिए मुक्त कर दिया गया। मगर माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव डॉ. गोयल के मामले में ऐसा नहीं हुआ है।  हालांकि सरकार बदलने के बाद मंत्रालय और अन्य जगहों पर पदस्थ प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापकों को मूल विभाग में भेजा गया था। डॉ. गोयल अभी भी पद पर बने हुए हैं। इस सिलसिले में उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों से चर्चा की गई, किन्तु उन्होंने डॉ. गोयल की अद्र्धवार्षिकी पूरा होने के मामले में अनभिज्ञता जताई है।

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