महासमुन्द
अतिरिक्त धान लेने पर किसान बिफरे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,21 जनवरी। जिले के दो धान खरीदी केंद्र के प्रबंधकों की लापरवाही की वजह से किसान आक्रोशित हो गए और खरीदी स्थल में ही हंगामा करते हुए धरने पर बैठ गए। बाद में अधिकारियों के मान-मनौव्वल के बाद दोनों ही खरीदी केंद्रों में मामला शांत हुआ और खरीदी व्यवस्था फिर से बहाल हो पाई।
जानकारी के मुताबिक जिले के ग्राम सरकड़ा समिति व बेलसोंडा धान खरीदी केंद्र में समिति प्रबंधकों की लापरवाही की वजह से किसान परेशान हैं। आरोप है कि सरकड़ा धान खरीदी केंद्र में किसानों से खरीदी के दौरान तौल में तीन किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा था। दो दिन पहले किसानों ने इसकी शिकायत की थी। दो दिन बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होते देख किसानों ने विरोध शुरू किया। मौके पर आला अधिकारी पहुंचे और तत्काल प्रभाव से खरीदी प्रभारी को हटाया। तब जाकर किसान शांत हुए और फिर से धान की बिक्री शुरू हो पाई।
इसी तरह बेलसोंडा में लघु किसानों के धान खरीदी के लिए टोकन जारी नहीं किया गया था। किसानों को पता चला कि बड़े किसानों का धान पहले बिक रहा है, तो वे बिफर गए। प्रबंधक ने छोटे किसानों का टोकन जारी करवाया तब मामला शांत हुआ। यहां के किसानों का कहना है बड़े किसानों के धान को खरीदी प्रभारी ने मिलीभगत कर खरीद लिया। छोटे किसानों के लिए अल्फा बेट के नियमों का पालन करा रहे हैं, बड़े किसानों से नहीं। बेलसोंडा के कुछ किसानों को बीते 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू हुई है। आज तक टोकन जारी नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि दो दिन पूर्व सरकड़ा खरीदी केंद्र में धान बेचने के लिए पहुंचे किसानों से हमाल 40 किलो की जगह 43 किलो धान तौला जा रहा था। किसानों ने कल विरोध जताते हुए जमकर हल्ला मचाया और खरीदी रोक दी। इसकी जानकारी होने के बाद सहकारिता विभाग से पल्लवी मेश्राम व बैंक प्रबंधक प्रमोद मांझी सरकड़ा पहुंचे और मामले की जांच की। अधिकारियों ने जांच के दौरान पाया कि किसानों से तीन किलो अतिरिक्त धान की तौलाई की जा रही थी। इसके बाद अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को सौंपने व कार्रवाई की बात कही। बेलसोंडा खरीदी केंद्र में छोटे किसानों ने प्रभारी नरेंद्र चंद्राकर के खिलाफ टोकन जारी करने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। खरीदी प्रभारी ने तत्काल छोटे किसानों को भी टोकन जारी किया और मामला शांत कराया। यहां 315 किसानों का धान नहीं बिका था।