रायपुर

रिटायर्ड कर्मचारी क्लेम के लिए भटक रहे, नहीं हो पा रहा प्रकरणों का समय पर निराकरण-फेडरेशन
21-Jan-2022 5:17 PM
 रिटायर्ड कर्मचारी क्लेम के लिए भटक रहे, नहीं हो पा रहा प्रकरणों का समय पर निराकरण-फेडरेशन

रायपुर, 21 जनवरी। सरकार के तमाम दावों के बाद भी रिटायर्ड कर्मचारियों को अपना क्लेम पाने के लिए भटकना पड़ रहा है। कई रिटायर्ड कर्मचारियों को तो दो-तीन साल से क्लेम नहीं मिल पाया है। राज्य पेंशनर्स फेडरेशन ने आरोप लगाया कि कोष लेखा पेंशन विभाग के अफसरों-कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से ऐसा हो रहा है।

पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने एक बयान में कहा कि कोष लेखा पेंशन विभाग की आपत्ति लगाने की आदत और विभागों की नकारापन के शिकार राज्य में पेन्शनर अपने क्लेम के भुगतान को लेकर दर दर भटक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन भर की जमा पूंजी उम्र के अंतिम पड़ाव में अफसरशाही और लालफीताशाही शिकार होकर सरकारी फाइलों में गुम होकर रह गई हैं। बार बार पत्राचार- गोहार का कोई असर नहीं हो रहा है। इसप्रकार के अनेक प्रकरण प्रदेश के हर जिले में है।

उन्होंने एक बयान में कुछ पेंशनरों का उदाहरण देकर बताया कि स्वास्थ्य विभाग में धमतरी जिले के स्वास्थ्य केन्द्र नगरी से रिटायर डी के त्रिपाठी और उनकी स्टाफ नर्स पत्नी मधुलिका त्रिपाठी, दोनों ही लगभग दो साल पहले रिटायर हो गए है। दोनों को दो साल से कोई क्लेम का भुगतान नहीं हो पाया है। दोनों का संयुक्त संचालक ट्रेजरी रायपुर से पीपीओ जारी नहीं हो सका है।

ट्रेजरी का कहना है पात्रता से अधिक भुगतान की वसूली बाकी हैं, और पेन्शनर का कहना है कि हाईकोर्ट ने 2 साल पहले ही वसूली पर रोक का आदेश कर दिया है परन्तु ट्रेजरी नियमों का हवाला देकर  प्रशासकीय विभाग से वसूली पर रोक के आदेश के बिना हाईकोर्ट के आदेश पर भी पीपीओ जारी करने को तैयार नहीं है। प्रकरण स्वास्थ संचालनालय के फाइलों में इधर उधर घूम रहा है और पेंशनर 2 साल से भटक रहे हैं।

एक अन्य प्रकरण मछलीपालन विभाग का है, राजनांदगांव जिले में पदस्थ मछली इंस्पेक्टर तिलक कुमार गुप्ता लगभग 1 साल पहले रिटायर हो चुका है मगर उनका अवकाश प्रकरण का निराकरण की फाइल मंत्रालय और संचालनालय के बीच कहीं फंसी पड़ी है। प्रकरण निराकरण के इंतजार में विभाग द्वारा पेंशन प्रकरण तैयार करके ट्रेजरी भी नहीं भेजा जा रहा है। संबंधित देरी से परेशान नियमानुसार अंतरिम पेंशन के लिये बार बार लिख रहा है, मगर विभाग इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कर्मचारी परिवार भूखों मरने की स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि पीएचई रायपुर से रिटायर लेखापाल सुरेखा बारापात्रे का मामला सामने आया है कि रिटायर होने के बाद फर्जी जाति का मामला संज्ञान में आने पर उनका सभी क्लेम रोक दिया गया है विभाग प्रकरण पर मंत्रालय से मार्गदर्शन मांग रहा है और मामला अटका पड़ा है। महिला कर्मचारी बार बार अन्तरिम पेंशन मांग रहा है मगर विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। महिला भटक रही है। कोई सुन नही रहा है।

जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि पेंशनरों के क्लेम के भुगतानों के लिये जिम्मेदार कोष लेखा पेंशन विभाग के आला अधिकारी और कर्मचारी के आपत्ति खोजने की प्रवृत्ति से राज्य पेंशनर परेशान हैं। जीवन भर ईमानदारी से काम किया।विभाग ने नियमों के तहत जो दिया वो लिया। ज्यादा दिया या कम दिया यह वही जाने। पूरे सेवाकाल में कई बार ट्रेजरी में सेवापुस्तिका की जांच होती है तब उन्हें कोई आपत्ति नजर नहीं आया परन्तु रिटायर होने के बाद ट्रेजरी को सब कुछ दिखने लगता है।

उन्होंने कहा कि इस अदभूत-अविश्वसनीय नियम के शिकार पेन्शनर यह भी बताते हैं कि कुछ आपत्ति को जानबूझकर लगाई जाती हैं। अनेक आपत्तियां हास्यास्पद होती है मसलन नाम में बिन्दु छूट गया है, अंग्रेजी का स्पेलिंग गलत है, कुमारी या श्रीमती क्यों है, वगैरह वगैरह।

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