रायपुर

पांच दिन बाकी, अभी तक 23 फीसदी पंजीकृत किसान नहीं बेच पाए धान
21-Jan-2022 5:21 PM
पांच दिन बाकी, अभी तक 23 फीसदी पंजीकृत किसान नहीं बेच पाए धान

गत वर्ष 92 फीसदी से अधिक पंजीकृत किसानों ने बेचा था 

अतिरिक्त धान खरीदी, किसानों ने किया हंगामा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 21 जनवरी। प्रदेश में सरकारी धान खरीद में पांच दिन बाकी रह गए हैं। अभी भी 23 फीसदी किसान धान नहीं बेच पाए हैं। तकरीबन सभी खरीदी केन्द्रों में धान बेचने के लिए आपाधापी मची हुई है। हालांकि उठाव पिछले वर्षों की तुलना में तेजी से हो रहा है।

प्रदेश की 2484 प्राथमिक सोसायटियों, और धान खरीदी केन्द्रों में तेजी से धान खरीदी हो रही है। बारिश के कारण कुछ दिन खरीदी प्रभावित रही। सभी जिलों में 31 जनवरी तक समर्थन मूल्य पर धान खरीद होनी है। बड़ी संख्या में पंजीकृत किसान अभी धान नहीं बेच पाए हैं। ऐसे में धान बेचने के लिए किसान खरीदी केन्द्रों में पहुंच रहे हैं। सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि जरूरत पडऩे पर धान खरीदी की तिथि बढ़ाई जा सकती है।

हालांकि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि निर्धारित तिथि तक खरीदी पूरी हो जाएगी। अवकाश के दिनों को छोडक़र सिर्फ 5 दिन ही खरीदी होनी है। अभी तक साढ़े 22 फीसदी से अधिक पंजीकृत किसान धान नहीं बेच पाए हैं। पिछले साल साढ़े 92 फीसदी से अधिकृत पंजीकृत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था। गुरूवार शाम तक  77.42 पंजीकृत किसान अपना धान बेच पाए हैं। जानकारी के अनुसार दंतेवाड़ा में सबसे कम 37.60 फीसदी पंजीकृत किसानों ने धान बेचा है।

बताया गया कि धान उत्पादक जिलों रायपुर में 83.2, महासमुंद में 80 ,धमतरी में 85.36, बलौदबाजार में 82.84, बिलासपुर में 80. 54, और जांजगीर-चांपा में 79.84 फीसदी पंजीकृत किसानों ने धान बेचा है। आदिवासी जिलों में अपेक्षाकृत कम खरीदी हुई है। दंतेवाड़ा में 37.60, बस्तर में 53.06, कोंडागांव में 64.91, सुकमा में 62.60, नारायणपुर में 66.39 फीसदी धान खरीदी हुई है। कुल मिलाकर 24 लाख 5 हजार 413 पंजीकृत किसानों में से 18 लाख 62 हजार 365 किसानों ने ही धान बेचा है।

52 फीसदी से अधिक धान का उठाव

पिछले साल तुलना में इस बार संग्रहण केन्द्रों से तेजी से उठाव हुआ है। कुल खरीदी का 52.66 फीसदी धान का उठाव हो चुका है। सभी जिलों में धान का उठाव तेजी से हो रहा है, और एफसीआई में मिलर्स द्वारा धान जमा किए जा रहे हैं।

अतिरिक्त धान खरीदी, किसानों ने किया हंगामा

प्रदेश के अधिकांश खरीदी केंद्र के प्रबंधकों की लापरवाही सामने आई है। इसकी वजह से किसान आक्रोशित हो गए है और खरीदी स्थल में ही हंगामा कर है। कवर्धा, महासमुंद जिले के दो धान खरीदी केंद्र में गुरुवार को अतिरिक्त धान खरीदी को लेकर किसान धरने पर बैठ गए थ। पिथौरा विकासखंड के सरकड़ा धान खरीदी केंद्र में किसानों से खरीदी के दौरान तौल में तीन किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा था, इससे किसानों ने विरोध किया। बाद में अधकारियों के मान मनव्वल के बाद मामला शांत हुआ।

ये है मामला

प्रदेश में 2454 खरीदी केन्द्र के माध्यम से धान खरीदी किया जा रहा। केंद्रों में परिवहन समय पर नहीं होने से धान सूखता है। इसके बाद एक बोरे का वजन 40 किलो से कम हो जाता है।

सरकार इसकी भरपाई समितियों के कमीशन में काटकर करती है। चालाक समितियां होने वाले इस नुकसान के बदले किसानों का धान ’यादा लेकर शॉर्टेज की समस्या दूर करते है।

समय पर परिवहन नहीं होने पर बढ़ जाती है सूखत

सूखत यानि धान का सूखना है। एक बोरे में 40 किलो के हिसाब से धान भरा रहता है। जब कस्टम मिलिंग होती है तो ट्रक में लोड होने के बाद धान के तौल में जो अंतर आए वह सूखत की मात्रा होती है। केंद्रों में खरीदे गए धान का समय पर परिवहन नहीं होने पर सूखत आती है। इसकी भरपाई समितियों से कराई जाती है।

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