रायपुर
जिला प्रभारियों की घोषणा में भी बड़े स्तर पर खींचतान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 जनवरी। विपक्षी दल के लिए युवा कार्यकर्ता ही प्रमुख सैनिक होते हैं, लेकिन 15 साल की सत्ता के बाद विपक्ष में बैठी भाजपा के लिए यह उल्टा साबित हो रहा है। भाजपा का यूथ विंग भाजयुमो अंदरूनी खींचतान के कारण पार्टी के लिए सिर दर्द साबित हो रहा है। आलम यह है कि कार्यकारिणी बने डेढ़ साल बीत गए हैं और युवा मोर्चा प्रदेश भर में आंदोलन खड़ा नहीं कर पाया।
भाजयुमो में किस तरह अंदरूनी लड़ाई है, इससे समझिए कि प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री के दो-दो पदों समेत 7 पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। यही स्थिति जिला प्रभारियों की नियुक्ति को लेकर बनी थी। हालांकि जोड़-तोड़ कर प्रभारियों का ऐलान तो किया गया, लेकिन इसमें भी गुटबाजी की बात सामने आ रही है। भाजयुमो के ही पदाधिकारियों का कहना है कि बैठकों में उनकी बात को तवज्जो नहीं मिलती। छेरछेरा से पहले सीएम हाउस और मंत्रियों का बंगला घेरने की रणनीति पर बात हुई थी। सभी पदाधिकारी आक्रामक आंदोलन के पक्ष में थे, लेकिन जब कार्यक्रम जारी किया गया, तब सीएम हाउस या मंत्री बंगले के बजाय चौराहे पर प्रदर्शन कर दिया गया।
इस तरह रोजगार जैसे मुद्दे पर आक्रामक आंदोलन के जरिए सरकार को घेरने की रणनीति खानापूर्ति बनकर रह गई। इन कारणों से ही युवा मोर्चा के दोनों प्रभारी भी प्रदेश प्रभारियों के सामने हटाने की बात रख चुके हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि युवा मोर्चा को अब तक दो-चार बड़े आंदोलन और जेल भरो आंदोलन करना था, लेकिन इसमें टीम ने निराश किया है।
ज्यादातर पदाधिकारी भी सुस्त
भाजयुमो में अलग-अलग नेताओं की सिफारिश से टीम बनी थी। यही वजह है कि युवा मोर्चा की टीम बनकर काम करने के बजाय आज भी पदाधिकारी अपने-अपने सिफारिशी नेता के आसपास ही घूमते रहते हैं। बचे हुए पदों पर भी इसी तरह नेताओं की सिफारिश लिए कार्यकर्ता खड़े हैं, लेकिन न तो उन्हें नियुक्ति दी जा रही है, न ही किसी और योग्य कार्यकर्ता को मौका दिया जा रहा है।