रायपुर

अधिक धान तौल कर गड़बड़ी कर रहे सोसायटी वाले, साय ने सीएम से की शिकायत
22-Jan-2022 5:10 PM
 अधिक धान तौल कर गड़बड़ी कर रहे सोसायटी वाले, साय ने सीएम से की शिकायत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 22 जनवरी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु साय ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर धान खरीदी केंद्रों में अधिक तौलाई की शिकायत की है। साय ने इसके दोषियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की है।

साय ने कहा कि प्रदेशभर के विभिन्न स्थानों से धान खरीदी केंद्रों में किसानों को अपना धान बेचने के लिए एक साथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। कहीं धान उठाव की धीमी रफ़्तार से खऱीदी केंद्रों में धान खरीदी का काम बुरी तरह प्रभाावित हो रहा है, कहीं किसानों को अपना धान बेचने टोकन पाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है, और अब धान के तौल में भी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं। विभिन्न खऱीदी केंद्रों में निर्धारित मात्रा से काफ़ी ज़्याादा धान तौलकर किसानों को सीधे-सीधे नुक़सान पहुंचाया जा रहा है। विभिन्न खऱीदी केंद्रों में धान बेचने वाले किसानों की यह शिकायत काफी संख्या में सामने आई है कि तौल करते समय उनका धान 40.500 किलो के अलावा 250 ग्रााम से लेकर तीन-तीन किलो अतिरिक्त तौला जा रहा है। महासमुन्द  के पिथौरा ब्लॉक की सरकड़ा सोसाइटी में निर्धारित मात्रा से तीन किलो ज़्यादा धान तौलने की शिकायत खऱीदी केंद्र के प्रबंधकों की लापरवाही को स्पष्ट करती है। यह बात अधिकारियों के सामने फिर से किए गए तौल में भी साबित हो गई है। इसी तरह धान खऱीदी केंद्रों में किसानों को टोकन देने में भी किए जा रहे पक्षपात से असंतोष पनप रहा है। महासमुन्द जि़ले के ही बेलसोंडा में  किसानों को टोकन जारी ही नहीं किया जा रहा था जिससे वहां 315  किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे थे। वहाँ भी अप्रिय स्थिति बनी और किसानों की उग्रता के बाद उन्हें टोकन जारी किया गया।

 साय ने आगे कहा कि प्रदेश के प्राय: धान खरीदी केंद्रों में इस तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। दोनों खरीदी केंद्रों में किसानों को अपने साथ इंसाफ के लिए धरने पर बैठना पड़ा, तब कहीं जाकर आपका प्रशासन तंत्र हरकत में आया। इस स्थिति से यह साफ हो रहा है कि धान खऱीदी केंद्रों में व्यापक पैमाने पर भर्राशाही का आलम है। भ्रष्टाचार, अवैध वसूली, माफिया-आतंक आदि के माहौल में प्रदेश सरकार से यह सहज अपेक्षा थी कि कम-से-कम किसानों को तो भर्राशाही का शिकार बनाने से बख़्शा जाए, लेकिन आज किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करती आपकी सरकार के शासनकाल में किसान ही सबसे ज़्यादा संत्रस्त हो रहा है।

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