दुर्ग

बालिका दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना- न्यायाधीश
25-Jan-2022 3:53 PM
बालिका दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना- न्यायाधीश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 25 जनवरी। 
राजेश श्रीवास्तव  जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण-दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में महिला एवं बाल विकास एवं शिक्षा विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय बालिका दिवस पर न्यायाधीशगण द्वारा ऑनलाइन वीसी के माध्यम से बताया कि  हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया दिवस जाता है। बालिका दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना है। वो बालिकाओं के अधिकारों के बारे में हो,  लड़कियों के शिक्षा के महत्व हो, स्वास्थ या उनके पोषण के बारे में हो । एक दौर ऐसा भी था, लड़कियों के बाल विवाह करवा दिए जाते थे। पहले के समय में लड़कियों को कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता था। मगर अब इसके खिलाफ कई सारे कानून बनाए गए हैं।

बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरुष या बाल विवाह को संपन्न कराने वालों को इस अधिनियम के तहत दो वर्ष के कठोरकी कारावास या 1 लाख रूपए का जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है, किंतु किसी महिला को कारावास से दंडित नहीं किया जाएगा। इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालक के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है। बाल विवाह, समाज की जड़ों तक फैली बुराई, लैंगिक असमानता और भेदभाव का ज्वलंत उदहारण है।

देश की बेटियों की आज लगभग हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है लेकिन एक दौर ऐसा था, जब लोग बेटियों को कोख में ही मार दिया करते हैं। बेटियों का जन्म हो भी गया तो बाल विवाह की आग में धकेल देते थे। बेटियों और बेटों में भेदभाव, उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आजादी के बाद से ही भारत सरकार प्रयासरत हो गई थी। बेटियों को देश की प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई योजनाएं और कानून लागू किए गए। इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई।

न्यायाधीशगण द्वारा ऑनलाइन वीसी के माध्यम से  पॉक्सो कानून के तहत  बताया कि कहा जाता है बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बच्चों के साथ किसी तरह का गलत व्यवहार उनके जीवन को अंधेरे में धकेल सकता है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर कई तरह की दिक्कतों से होकर गुजरना पड़ सकता है। अपराधी नियम कानून को ताक पर रखकर मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं।
 

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